कई तरह से हुआ बच्चों का उत्पीड़न
रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चों की मौत या घायल होने के मामले संयुक्त राष्ट्र द्वारा सूचीबद्ध किए 24,000 से अधिक क्रूर हिंसा मामलों में शामिल है। अपने संघर्ष में लड़ाके बच्चों को अलग-अलग भूमिकाओं में इस्तेमाल कर उनका उत्पीड़न करते रहे हैं। ये लड़ाके बच्चों को युद्ध में नियुक्त करना, उनके साथ यौन हिंसा और अपहरण जैसे वारदात को अंजाम देते थे। इसके साथ ही स्कूलों और अस्पतालों में किए गए हमले में भी कई बच्चे प्रभावित हुए।
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वार्षिक रिपोर्ट में कई चिंताजनक खुलासे
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने बच्चों और सश्स्त्र संघर्षों पर सुरक्षा परिषद को रिपोर्ट सौंपी थी। इस वार्षिक रिपोर्ट में कई चिंताजनक खुलासे किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सशस्त्र समूहों बच्चों पर नियमित रूप से अपराध को अंजाम देते आ रहे हैं। लेकिन इस साथ-साथ सरकार और अंतरराष्ट्रीय बलों की ओर से बच्चों के ऊपर किए जा रहे अपराधों की संख्या में खतरनाक वृद्धि देखने को मिली है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद बच्चों के लिए काम करनेवाली कई मानवाधिकार संस्थाओं ने नाराजगी जताई है।
गुटरेस ने जताई चिंता
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों के खिलाफ क्रूर अपराध करने वाले देशों को काली सूची में शामिल किया है। लेकिन इस सूची में अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है यानी काली सूची में डाले गए देशों में अब भी इस हालात में सुधार नहीं आ रहा है। गुटरेस इस रिपोर्ट पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2018 में दुनिया भर में बच्चों के साथ जिस तरह की हिंसा हुई है, उससे काफी चिंताजनक स्थिति बन रही है। हिंसा के दौरान बच्चों को निशाना बनाया जाना दुखी करनेवाला है।’
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अफगानिस्तान में सबसे अधिक बच्चों की मौत
बच्चों के साथ हिंसा के सबसे अधिक मामले अफगानिस्तान से सामने आए हैं, जहां बीते 3062 बच्चे मारे गए। इसके अलावा सीरिया में एयर स्ट्राइक और हवाई बम हमले में 1,854 बच्चों की मौत हुई। वहीं, यमन में 1,689 बच्चे हिंसा की बलि चढ़े।