अमरीका-ईरान तनाव से पैदा हुआ न्यूक्लियर वॉर का खतरा, तबाही के ढेर पर बैठी है दुनिया
नई दिल्ली। ईरान और अमरीका के बीच तनाव कम होने की गुंजाइश खत्म होती जा रही है। ईरान ने हाल ही में एक अमरीकी ड्रोन को मार गिराया था। इसके जवाब में अमरीका ने साइबर वार छेड़ कर ईरान के डिफेंस सिस्टम से जुड़े कई कंप्यूटरों को बबार्द कर दिया है। इस हमले को बड़े युद्ध की तरफ एक इशारे की तरह देखा जा रहा है।
ईरान और अमरीका के बीच तनाव के कारण पूरी दुनिया दो गुटों में बंटती जा रही है। दो महाशक्तियां रूस और अमरीका आमने-सामने आ गए हैं। परणामु हथियार को लेकर अमरीका ने जिस तरह ईरान पर बैन लगा रखा है। वही हथियार अब युद्ध में इस्तेमाल होने की ओर बढ़ रहे हैं।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि किस देश के पास कितने परमाणु बम हैं। इसके अनुसार दुनिया में असुरक्षा बढ़ चुकी है। दुनिया में परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ रही है। कई देशों के रक्षा बजट में परमाणु हथियारों की अनिवार्यता है। हालांकि परमाणु हथियारों की संख्या में कमी आई है। बावजूद इसके इस वक्त दुनिया में नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं। इनमें अमरीका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और उत्तर कोरिया शामिल हैं।
2019 में किसके पास कितने परमाणु बम सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय दुनिया के कई देशों में परमाणु हथियारों का जखीरा बड़ी मात्रा मौजूद है- रूसः 6500 अमरीका: 6185 फ्रांसः 300 चीनः 290 ब्रिटेनः 200 भारतः 130-140 पाकिस्तानः 150-160 इजराइल: 80-90 उत्तर कोरियाः 20-30
इंस्टीट्यूट के परमाणु निरस्त्रीकरण,शस्त्र नियंत्रण और अप्रसार कार्यक्रम के निदेशक शेनन काइल के अनुसार दुनिया में परमाणु हथियारों का कुल उत्पादन कम हो गया है, लेकिन दक्षिण एशिया में यह बढ़ रहा है। सिपरी का अनुमान है कि 2019 की शुरुआत में दुनिया में परमाणु हथियारों की संख्या 13,865 थी। इस आंकड़े में उन सभी हथियारों को गिना गया है जिन्हें तैनात किया गया है या फिर डिसमेंटल किया जाना है।
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट कर कहा था कि अमरीका को अपनी परमाणु क्षमता को और बढ़ाना चाहिए। वॉशिंगटन स्थित संस्था आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की रिपोर्ट के मुताबिक केवल रूस के पास अमरीका से ज्यादा परमाणु हथियार हैं। अमरीका और रूस ही दो ऐसे देश है जिनके पास परमाणु हमले के लिए जरूरत से ज्यादा हथियार हैं। दोनों के पास दुनिया में मौजूद कुल 15,000 ऐसे हथियारों का 90 फीसदी है। इस सूची में 300 हथियारों के साथ फ्रांस तीसरे नंबर पर है।
अमरीका और रूसः किसमें कितना दम – ईरान से तनाव के बीच रूस के राष्ट्रपति ने अमरीका को चेताया कि यदि ईरान पर हमला हुआ तो उसे भारी कीमत चुकानी होगी। अमरीका और रूस की ताकत का आकलन किया जाए तो दोनों कई मामलों में एक दूसरे पर हावी हैं।
– दोनों देशों की फौज को देखा जाए तो अमरीका के पास 13 लाख से ज्यादा सैनिक हैं, जबकि रूस के पास आठ लाख फौजी हैं। दुनिया में कई जगह अमरीकी फौज तैनात हैं
– युद्धक टैंक के मामले रूस के पास अमरीका के मुकाबले तीन गुना ज्यादा टैंक हैं। अमरीका के पास 5,884 टैंक हैं, वहीं रूस के पास 15,400 टैंक हैं। – मिलिट्री रॉकेट लॉन्चर के मामले में भी रूस अमरीका पर भारी है। रूस के पास 3,800 मिलिट्री रॉकेट लॉन्चर हैं जबकि अमरीका के पास 1,331 हैं।
– अमरीकी सेना के पास लड़ाकू हेलीकॉप्टर की संख्या 974 है। वहीं रूसी सेना के बेड़े में 480 लड़ाकू हेलीकॉप्टर शामिल हैं। – अमरीका के पास बम वर्षक विमान भी रूस से काफी अधिक हैं। अमरीका के पास 2,785 बम वर्षक हैं, वहीं रूस के पास 1,400 बम वर्षक हैं।
– अमरीकी वायुसेना के पास जहां 2,296 लड़ाकू विमान मौजूद हैं। वहीं रूस के पास सिर्फ 750 ही जेट हैं। यहां अमरीका से रूस काफी आगे है। – अमरीका लगातार रूस पर भारी पड़ रहा है। रूस के पास जहां सिर्फ एक विमानवाहक युद्धपोत है, वहीं अमरीका के पास ऐसे 19 पोत हैं।
– रूस लड़ाकू युद्धपोत के मामले में अमरीका से काफी आगे है। अमरीका के 71 लड़ाकू युद्धपोत हैं। वहीं रूस के पास 100 ऐसे पोत हैं। – पनडुब्बियों की बात की जाए तो रूस अमरीका से ज्यादा पीछे नहीं है। रूस के पास 60 पनडुब्बियां हैं, जबकि अमरीका के पास 70 पनडुब्बियां हैं।
– अमरीका और रूस के रक्षा बजट में काफी अंतर है। अमरीका का रक्षा बजट 588 अरब डॉलर है। वहीं रूस का रक्षा बजट सिर्फ 66 अरब डॉलर है। पोखरण के बाद भारत का डंका बजा
भारत ने पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में किया था। इसका नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ था। इसके बाद पोखरण-2 परीक्षण मई 1998 में राजस्थान के पोखरण में स्थित परीक्षण रेंज पर हुआ। यह परमाणु बम परीक्षणों की श्रृंखला का एक हिस्सा था। इसके बाद से भारत भी दुनिया के कई परमाणु संपन्न देशों में शामिल हो गया। भारत विश्व का पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना, जिसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। वर्ष 2003 की परमाणु नीति के तहत भारत का परमाणु कार्यक्रम उसकी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए है।