इस बीच मिस्र में उपवास तोड़ने की घोषणा करने वाला ऐतिहासिक रमजान तोप ( Ramadan Cannon ) मंगलवार को सूर्यास्त के समय दागी गई। पिछले 29 सालों में यह पहला अवसर था जब रमजान तोप को फायर की गई। आखिरी बार 1992 में रमजान तोप को फायर की गई थी।
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ऐसा माना जाता है कि यह परंपरा मिस्र की राजधानी काहिरा के सलह अल-दीन अल-अयूबी के प्रतिष्ठित गढ़ में शुरू हुई थी। इसी जगह पर मंगलवार को रमजान तोप को फायर की गई। कई दस्तावेजों में ये जिक्र मिलता है कि इस परंपरा की शुरुआत 1460 में हुआ था, जब ममलुक सुल्तान सफ़ अल-दीन खुशाकदम को उपहार के रूप में यह मिला था और उन्होंने इसका परीक्षण करने के लिए फायर करने के आदेश दिए थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिस्र सरकार ने ऐतिहासिक स्थलों को विकसित करने का एक अच्छा कदम उठाया, जिसके तहत पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय द्वारा इस तोप को फिर से बहाल किया गया है।
रमजान के समय हर दिन फायर की जाएगी तोप
पुरातत्व स्थलों और संग्रहालय के सहायक मंत्री इमान जिदान ने एक बयान में कहा कि संग्रहालय और पुरातात्विक स्थलों में पर्यटन सेवाओं की दक्षता बढ़ाने के लिए मंत्रालय की योजना के तहत इस तोप को बहाल किया गया है।
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उन्होंने कहा कि रमजान के दौरान इफ्तार की घोषणा के लिए हर दिन सूर्यास्त के समय तोप को फायर किया जाएगा। सुप्रीम काउंसिल ऑफ एंटिक्स के महासचिव मुस्तफा वज़िरी ने कहा कि तोप को फिर से बहाल करने से पहले इसे अत्याधुनिक तकनीक और लेजर से युक्त किया गया है। इसमें जंग की एक मोटी परत जम गई थी, जिसे हटाया गया है और इसे अंदर से भी साफ किया गया है।
मंत्रालय के इस्लामिक, कॉप्टिक और यहूदी पुरातन क्षेत्र के प्रमुख ओसामा तलत ने कहा कि रमजान तोप को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित है, लेकिन ये प्रमाणित है कि यह राजधानी काहिरा के सलह अल-दीन में ही शुरू किया गया था।