Pegasus Scandal: पेगासस खुलासे का बड़ा असर, NSO ने कई सरकारों को इसके इस्तेमाल से रोका
Pegasus Scandal: विदेशी मीडिया समूहों की ओर से पेगासस प्रोजेक्ट नाम से जारी की गई रिपोर्ट का बड़ा असर हुआ है, एनएसओ ने कई सरकारी ग्राहकों को पेगासस का प्रयोग करने से रोक दिया है।
Pegasus Scandal: NSO prevents many governments from using the spyware
नई दिल्ली। पेगासस का मामला सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी तूल पकड़ रहा है। जहां एक तरफ भारत समेत कई देशों की सरकारों को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ पेगासस को बनाने वाली इजरायली साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ पर भी सवाल दागे जा रहे हैं।
पेगासस मामले (Pegasus Scandal) पर बड़ा विवाद होने के कारण एनएसओ ने दुनियाभर के अपने कई सरकारी ग्राहकों को स्पाइवेयर का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, एनएसओ फिलहाल स्पाइवेयर के कथित दुरूपयोगों की जांच करने में जुटी हुई है।
सरकारी ग्राहकों के नामों का नहीं हुआ खुलासा नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) ने इजराइली कंपनी में काम कर रहे एक सूत्र के हवाले से खबर दी है कि कुछ ग्राहकों की जांच की जा रही है। इनमें से कुछ उपयोगकर्ताओं द्वारा सॉफ्टवेयर के प्रयोग को अस्थायी रूप से रोका गया है। हालांकि एनएसओ ने उन सरकारी एजेंसियों व देशों के नाम नहीं बताए, जिन्हें सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने से रोक गया है। इसके पीछे यह दलील दी गई है कि इजरायल के रक्षा नियम कंपनी को ग्राहकों के नाम उजागर करने से प्रतिबंधित करते हैं।
इजरायली सरकार करा रही है जांच पेगासस मामले के कारण इजरायली सरकार पर भी काफी दबाव है क्योंकि वही अन्य देशों को यह तकनीक बेचती है। इजरायली रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एनएसओ पर लगे आरोपों की जांच की जा रही है और हर्जलिया में स्थित एनएसओ के कार्यलय का भी निरीक्षण किया गया था।
गौरतलब है कि पेगासस मामले में भारत सरकार भी सवाल उठे थे। विदेशी मीडिया के कुछ समूहों के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में 40 पत्रकारों समेत कई विपक्षी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं व मानवाधिकार कार्यकर्तओं की जासूसी हुई है। इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को संसद में घेरे हुए है और सरकार से इसका जवाब मांग रहा है कि उसने पेगासस को खरीदा या नहीं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है और अगले हफ्ते से इस पर सुनवाई शुरू हो जाएगी।
बता दें कि कथित जासूसी का यह मामला बड़ा है और इसी तरह के एक मामले में (वाटरगेट स्कैंडल) अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को 1974 में इस्तीफा देना पड़ गया था।