UNSC में यह पहला मौका नहीं है, बल्कि चौथा मौका था जब चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर पी-3 देशों के प्रस्ताव को गिरा दिया। चीन के इस अडि़यल रुख से अन्य सदस्य देशों में गहरा आक्रोश है। अमरीका ने तो साफ कह दिया है कि वो अपना प्रयास जारी रखेगा। चीन ने प्रस्ताव का विरोध कर अच्छा नहीं किया है।
सुरक्षा परिषद के अन्य स्थायी सदस्यों ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह अपनी इस नीति पर ही कायम रहता है तो भी अन्य वैकल्पिक कार्रवाइयों पर विचार किया जा सकता है। सुरक्षा परिषद के एक राजनयिक ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि चीन इस प्रस्ताव को रोकने की नीति जारी रखता है तो अन्य जिम्मेदार सदस्य सुरक्षा परिषद में ऐक्शन लेने पर मजबूर हो सकते हैं। बेहतर यही होगा कि ऐसी स्थिति पैदा न हो।
दूसरी तरफ अमरीका ने चीन के इस रुख पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में मसूद अजहर को शामिल करने को लेकर हमारा प्रयास जारी रहेगा। भारत में अमरीकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध समिति की सिफारिशों पर खुली चर्चा नहीं की जा सकती है। इसके बावजूद हम कहना चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में आतंकियों के नाम शामिल कराने के लिए प्रयास जारी रहेंगे।
यूएनएससी में भले ही चीन द्वारा वीटो पावर का उपयोग करने से पी-3 देशों का प्रस्ताव गिर गया और मसूद अजहर ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बच गया लेकिन भारत के लिए यह बड़ी बात है कि अन्य 4 स्थायी सदस्य अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस ने मसूद पर बैन का समर्थन किया। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इसके बाद पी-3 देशों ने अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव सुरक्षा परिषद में पेश किया था।