scriptपरमाणु समझौते से पीछे हटकर ईरान ने खोला नया मोर्चा, क्या हमला करने का जोखिम उठाएगा अमरीका | Iran laid conditions in front of the western countries to nuclear deal, America will take the risk of attack | Patrika News
विश्‍व की अन्‍य खबरें

परमाणु समझौते से पीछे हटकर ईरान ने खोला नया मोर्चा, क्या हमला करने का जोखिम उठाएगा अमरीका

अमरीका ने ईरान पर लगाएं हैं कई तरह के प्रतिबंध।
बीते साल अमरीका ने 2015 परमाणु समझौते से खुद को अलग कर लिया था।
ईरान ने अमरीकी प्रतिबंधों को लेकर पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है।

May 09, 2019 / 07:56 am

Anil Kumar

डोनाल्ड ट्रंप और हसन रूहानी

परमाणु समझौते से पीछे हटकर ईरान ने खोला नया मोर्चा, क्या हमला करने का जोखिम उठाएगा अमरीका

तेहरान। ईरान ( Iran ) और अमरीका ( America ) के बीच टकराव बढ़ता ही जा रहा है। दोनों मुल्कों के बीच यह टकराव दुनिया के लिए शुभ संकेत नहीं है। अब अमरीका ने एक बार फिर से ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसके बाद से ईरान ने भी मोर्चा खोल दिया है और पश्चिमी देशों को खुली चेतावनी दे दी है। ईरान के साथ परमाणु समझौता तोड़ने के बाद अमरीका काफी सख्त है और अब ईरान ने भी कह दिया है कि यदि उनके साथ परमाणु समझौते में शामिल पश्चिमी देशों ने नियमों को तोड़ने की कोशिश की तो इसके बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। हालांकि ईरान ने भी इस समझौते से खुद को थोड़ा पीछे हटा लिया है, यानी कि इस समझौते के कुछ नियमों को वह खुद नहीं मानेगा। ईरान ने परमाणु समझौते के दो हिस्सों से खुद को अलग किया है, जिन्हें ज्वाइंट कम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन ( JCPOA ) कहा जाता है। इसके तहत सरप्लस यूरेनियम और हेवी वॉटर की बिक्री शामिल होती है। लिहाजा अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि ऐसे में बाकी दुनिया किसके साथ होगी? यदि अमरीका और ईरान के बीच तनाव काफी बढ़ गया तो क्या होगा? और क्या ईरान को रोकने के लिए अमरीका हमला करने का जोखिम उठाएगा?

अमरीका की बड़ी कार्रवाई, ईरान को रोकने के लिए खाड़ी में युद्धपोत और बमबर्षक तैनात

पश्चिमी देशों को ईरान का अल्टीमेटम

ईरान ने अमरीकी प्रतिबंधों को लेकर अब पश्चिमी देशों को सीधे-सीधे चेतावनी दी है। राष्ट्रपति हसन रूहानी ( President Hasan Ruhani ) ने कहा कि जो भी पश्चिमी देश 2015 परमाणु समझौते में शामिल हैं, वे ईरान को अमरीकी प्रतिबंधों से बचाने के लिए 60 दिन के भीतर ठोस कदम उठाएं। यदि वे ऐसा करने में नाकाम रहते हैं, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि ईरान एक बार फिर से यूरेनियम का उत्पादन करने को मजबूर हो जाएगा। बता दें कि अमरीकी प्रतिबंधों के कारण ईरान की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। ईरान की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है। ईरान की मुद्रा अपने सबसे नीचले स्तर पर पहुंच गया है और महंगाई दर चार गुना बढ़ गई है।

डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को दी धमकी, अब से 200 अरब डॉलर के इंपोर्ट पर लगेगा 25 फीसदी शुल्क

दो धड़ों में बंटी दुनिया

ईरान पर अमरीकी प्रतिबंधों और परमाणु समझौते को लेकर दुनिया दो धड़ों में बंट गई है। कुछ देश ईरान के समर्थन में हैं तो कुछ अमरीकी कार्रवाई को सही मान रहे हैं। अमरीका का कहना कि 2015 परमाणु समझौते पर ईरान की मनमानी व महत्वकांक्षाओं पर अंकुश लगाने के लिए कार्रवाई की है। इधर ब्रिटेन , फ़्रांस और जर्मनी का कहना है कि जब तक ईरान अपनी प्रतिबद्धताओं पर टिका रहेगा तब तक वे भी इस परमाणु समझौते का समर्थन करते रहेंगे। ब्रिटेन के विदेश सचिव जेरेमी हंट ने ईरान के ताजा कदम को अस्वीकार करते हुए अपील की है कि वह आगे और ऐसे कदम ना उठाए। वहीं जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने इस समझौते पर अपना समर्थन जताया और कहा कि यूरोप की सुरक्षा के लिए यह बहुत अहम है। इधर फ्रांस के रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने कहा कि यूरोपीय ताकतें इस समझौते को बचाने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं, लेकिन यदि ऐसा नहीं हो पाता है तो ईरान को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस समझौते में शामिल सभी पक्षों से अपील की है कि वे अपनी प्रतिबद्धताओं पर टिके रहें। चीन ने ईरान का साथ देते हुए अमरीकी प्रतिबंधों पर कड़ा विरोध जताया है। बता दें कि इस परमाणु समझौते में चीन और रूस के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी अभी भी ईरान के साथ शामिल हैं, जबकि अमरीका ने बीते साल ही खुद को अलग कर लिया था।

ईरान: राष्ट्रपति हसन रूहानी के भाई को भ्रष्टाचार के मामले में जेल

क्या ईरान पर हमला करेगा अमरीका?

अब एक सवाल उभर रहा है कि यदि ईरान अपनी बातों पर अडा रहा तो क्या अमरीका ईरान पर हमला करेगा? इस सवाल का जवाब तो समय के साथ ही दिया जा सकता है, पर संभावनाएं ज्यादा नजर आ रही है। अमरीका नहीं चाहता है कि ईरान फिर से यूरेनियम उत्पादन करे क्योंकि इससे पूरी दुनिया के सामने एक नया संकट खड़ा हो सकता है। लिहाजा गलत तरीके से यूरेनियम उत्पादन को लेकर ही ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए गए थे। 2015 में परमाणु समझौते के तहत ईरान को कई छूट मिली थी। लेकिन जब अमरीका में नई सरकार बनी और डोनाल्ड ट्रंप ( US President Donald Trump ) राष्ट्रपति बने तो उन्होंने ईरान से परमाणु समझौता तोड़ दिया। अब यदि ईरान अमरीकी प्रतिबंधों को दरकिनार कर यूरेनियम उत्पादन करता है तो अमरीका कोई ठोस कार्रवाई कर सकता है। मसलन कई तरह के प्रतिबंधों में इजाफा कर सकता है। साथ ही दुनिया के बाकी देशों के साथ सहमति बनी तो ईरान के परमाणु कार्यक्रमों को विफल करने के लिए हमला भी कर सकता है।

ईरान पर प्रतिबंध के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने OPEC देशों से लगाई गुहार, सोमवार को लुढ़का कच्चे तेल का भाव

क्या चाहता है ईरान?

दरअसल, पश्चिमी देश ईरान के साथ अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद ‘इंसटेक्स’ यानी इंस्ट्रूमेंट इन सपोर्ट ऑफ ट्रेड एक्सचेंज के जरिए व्यापार करते हैं। इंस्टेक्स पेमेंट करने का एक तरीका है जिसे फ्रांस, ब्रिटेन व जर्मनी ने मिलकर इस साल जनवरी में तैयार किया था, ताकि अमरीकी प्रतिबंधों से छेड़छाड़ किए बिना ही ईरान के साथ व्यापार जारी रख सकें। सबसे बड़ी बात यह है कि ईरान के लिए आय का मुख्य स्त्रोत तेल है, लेकिन तेल इंस्टेक्स के अंतर्गत नहीं आता है। अब ईरान चाहता है कि यूरोपीय देश इसे भी इंस्टेक्स में शामिल करे। जबकि यदि ऐसा किया जाता है तो यह भी अमरीकी प्रतिबंध में शामिल हो जाएगा। बता दें कि इंस्टेक्स के अंतर्गत खाद्य पदार्थ, दवाइयां और अन्य सामान का व्यापार होता है जिसपर अमरीकी प्रतिबंध लागू नहीं है।

 

Read the Latest World News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले World News in Hindi पत्रिका डॉट कॉम पर. विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर.

Hindi News / World / Miscellenous World / परमाणु समझौते से पीछे हटकर ईरान ने खोला नया मोर्चा, क्या हमला करने का जोखिम उठाएगा अमरीका

ट्रेंडिंग वीडियो