इससे पहले वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने मानव शरीर में पाए जाने वाले एक एंटीबॉडी की पहचान की है, जो कोरोना वायरस के लिए जिम्मेदार सार्स सीओवी-2 ( SARS Cov-2 ) संक्रमण से बचाव कर सकता है या उसे सीमित कर सकता है।
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अमरीका के मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल यूनिवर्सिटी ( UMMS ) के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ प्रतिक्रिया करने वाले मानवीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ( MAB ) का पता लगाया है। यह MAB श्वसन प्रणाली के म्यूकोसल (शरीर के आंतरिक अंगों को घेरे रहने वाली झिल्ली) उत्तकों पर ACE2 रिसेप्टर पर वायरस को बंधने से रोकता है।
16 साल पहले हुई इसकी उत्पत्ति
बता दें, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ( Human Monoclonal Antibodies ) वह एंटीबॉडी है, जो समान प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा बनाए जाते हैं और ये सभी कोशिकाएं विशिष्ट मूल कोशिका की क्लोन होती हैं। अध्ययन से पता चला है कि इस त्वरित एवं महत्त्वपूर्ण खोज की उत्पत्ति 16 वर्ष पूर्व हुई थी। यूएमएमएस के अनुसंधानकर्ताओं ने IGG मोनोक्लोनल एंटीबॉडी विकसित किया था, जो इसी तरह के वायरस, सार्स के खिलाफ प्रभावी था।
जब सार्स-सीओवी-2 वायरस की पहचान की गई और यह फैलना शुरू हुआ तो शोधकर्ताओं ने महसूस किया कि पहला एमएबी इस नए संक्रमण में भी मदद कर सकता है। अब शोधकर्ताओं ने पुराने सार्स कार्यक्रम को फिर से जीवित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अब शोधकर्ता ये निर्धारित कर रहे हैं कि कोरोना वायरस में जो काम आया वह दूसरे के लिए भी काम करता है या नहीं। यह अध्ययन ‘नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। बता दें कि पूरी दुनिया में कोरोना से अब तक 2.33 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 8 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।