एक साल में कोरोना वैक्सीन हो सकती है बेअसर, वैज्ञानिकों ने बताई बड़ी वजह
कोरोना वायरस महामारी के बीच लोगों को लगाई जा रही कोरोना वैक्सीन को लेकर बड़ी खबर आई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना का म्यूटेशन एक साल के भीतर वैक्सीन का असर खत्म कर सकता है।
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न्यूयॉर्क। कोरोना वैक्सीन पाने को लेकर दुनिया भर में अभी भी उत्सुकता का माहौल बना हुआ है, लेकिन एक नई रिपोर्ट इन्हें निराश कर सकती है। दरअसल म्यूटेशन पीपुल्स वैक्सीन एलायंस द्वारा 28 देशों के 77 महामारी विज्ञानियों, वायरोलॉजिस्ट और संक्रामक रोग विशेषज्ञों में से दो-तिहाई ने कहा है कि कोरोना वायरस वैक्सीन एक वर्ष या इससे भी कम वक्त में बेअसर हो सकती है। मंगलवार को प्रकाशित सर्वे के नतीजे दुनिया को इसके जोखिम की चेतावनी देते हैं। इसके साथ ही यह बात भी सामने लाते हैं कि यह सभी देशों को कोविड-19 से लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त टीके क्या वाकई मौजूद हैं।
जरूर पढ़ेंः 2015 में दी थी कोरोना महामारी की चेतावनी और अब बिल गेट्स ने की दो भविष्यवाणी सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों में से करीब एक तिहाई ने कोरोना वैक्सीन के बेअसर होने के लिए नौ महीने या इससे भी कम समयसीमा दी। आठ में से एक ने कहा कि वे मानते हैं कि कोरोना वायरस का म्यूटेशन मौजूदा वैक्सीन को अप्रभावी नहीं करेगा। वहीं, 88 प्रतिशत यानी भारी बहुमत ने कहा कि कई देशों में लगातार कम वैक्सीन कवरेज से वैक्सीन रेजिस्टेंट म्यूटेशन दिखाई देने की संभावना ज्यादा होगी।
अफ्रीकी गठबंधन, ऑक्सफैम और यूएनएड्स समेत 50 से अधिक संगठनों के गठबंधन पीपुल्स वैक्सीन एलायंस ने चेतावनी दी है कि वर्तमान दर पर यह संभावना थी कि गरीब देशों के बहुमत में केवल 10 फीसदी लोगों को अगले वर्ष में टीका लगाया जाएगा।
सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से करीब तीन-चौथाई ने कहा कि टेक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा का खुला साझाकरण वैश्विक वैक्सीन कवरेज बढ़ा सकता है। इनमें जॉन हॉपकिन्स, येल, इंपीरियल कॉलेज, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और केप टाउन विश्वविद्यालय समेत महामारीविद्, विषाणुविज्ञानी और संक्रामक रोग विशेषज्ञ शामिल थे।
जरूर पढ़ेंः यहां हो रही स्वस्थ लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित करने की तैयारी, WHO ने कही बड़ी बात एक बयान में ब्रिटेन में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में ग्लोबल पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर देवी श्रीधर ने ने कहा, “जितना अधिक वायरस फैलता है, उतनी अधिक संभावना है कि म्यूटेशन और परिवर्तन पैदा होंगे, जो हमारे वर्तमान टीकों को अप्रभावी बना सकते हैं। इसी समय, गरीब देशों को बिना वैक्सीन और ऑक्सीजन जैसे बुनियादी चिकित्सा आपूर्ति के बिना पीछे छोड़ दिया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “जैसा कि हमने सीखा है, वायरस सीमाओं के बारे में परवाह नहीं करते हैं, हमें दुनिया में हर जगह जितनी जल्दी हो सके उतने लोगों को टीकाकरण करना है। इसके आगे बढ़ने के बजाय इंतजार क्यों करें?”