वैश्विक आतंकी घोषित होने के बाद मसूद पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, इस तरह से गिरेगी गाज
कितना गंभीर था चीनयूएन और अमरीकी मीडिया में इस बात की चर्चा है कि चीन ने मसूद अजहर मामले पर अपना वीटो वापस तो ले लिया था लेकिन वह नहीं चाहता कि ऐसे समय में जब भारत में चुनाव हो रहे हों, मसूद अजहर पर कोई फैसला आए। इसका मतलब यह हुआ कि अजहर को आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को चीन, चुनावों तक टालने की पूरी कोशिश कर रहा था। लेकिन अमरीकी दबाव के कारण चीन की एक न चली। अमरीकी मीडिया में दावा किया जा रहा है कि चीन 15 मई के बाद ही मसूद अजहर पर फैसला करने के मूड में था लेकिन अमरीकी दवाब के चलते उसको मजबूर होना पड़ा। असल में इस मामले में चीन कोई डेट रखने के पक्ष में नहीं था। लेकिन चीन की यह चालाकी काम नहीं आई और अमरीका ने उसकी हीला-हवाली को नकारते हुए 30 अप्रैल की डेडलाइन तय कर दी। यह पूछे जाने पर कि क्या यह मुद्दा बुधवार तक सुलझ जाएगा? इस पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था कि मैं केवल यह कह सकता हूं कि इस मुद्दे को समुचित तरीके से सुलझा लिया जाएगा।
चीन ने फ्रांस, रूस और ब्रिटेन को भी अपना साथ देने के लिए राजी कर लिया था। लेकिन फ्रांस इसे केवल एक सप्ताह बढ़ाना चाह रहा था जबकि ब्रिटेन का कोई अपना स्टैंड नहीं था। चीन ने संयुक्त राष्ट्र सचिवालय को इस बारे में पत्र लिखने का भी मन बना लिया था लेकिन अमरीका अड़ गया। अमरीका की तरफ से अप्रैल में ही डेडलाइन तय कर दी गई थी और कहा गया था कि अगर चीन ने इसे आगे बढ़ाया तो अमरीका इस मामले में चीन को अलग-थलग करने के लिए एक अनुपूरक प्रस्ताव ला सकता है। इधर भारत ने भी चीन के दोहरी चाल को समझते हुए आगे कोई भी खतरा नहीं उठाया और अमरीका पर बार बार दवाब डालता रहा। बताया जा रहा है कि चीन अगर प्रस्ताव की कमेटी में इस मुद्दे पर वीटो इस्तेमाल करता तो अमरीका इसे वोटिंग के लिए सुुरक्षा परिषद् में ले जाता। अगर चीन वहां वीटो लगता तो दुनिया के देशों के सामने उसकी भद पिट जाती।
विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर ..