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अब तक अमरीका-तालिबान में क्या समहति बनी?
अफगान-अमरीकी राजनयिक खलीलजाद जो कि संयुक्त राष्ट्र ( United Nation ) में अमरीकी राजदूत (2007-2009) और अफगानिस्तान (2003-2005) रहे, अमरीका की ओर से और तालिबान की ओर से समूह के चीफ शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजाई और मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ( Mullah Abdul Ghani Baradar ) वार्ता में भाग लेते रहे हैं। तालिबान चाहता है कि दोहा में हुए वार्ता के मुताबिक अमरीकी सेना अफगानिस्तान से वापस चला जाए, जबकि अमरीका चाहता है अफगानी धरती का इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के लिए नहीं किया जाएगा। पर तालिबान ने कहा जब तक अमरीकी सेना अफगानिस्तान से वापस नहीं जाती है तब तक वह इस तरह के वादा नहीं करेंगे। इन्हीं दो विन्दुओं पर बातचीत लगातार जारी है। बीते गुरुवार को तालिबान की ओर से जारी बयान में भी कहा गया है कि दोनों पक्षों में सकारात्मक बातचीत रही है।
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अफगान सरकार वार्ता से बाहर क्यों?
अफगान शांति वार्ता में एक महत्वपूर्ण कड़ी सरकार है। पर इस वार्ता मे अफगान सरकार को शामिल नहीं किया गया है। आखिर ऐसा क्यों है? दरअसल तालिबान अफगान सरकार को बातचीत में शामिल नहीं करना चाहता है। हालांकि अमरीका यह चाहता है और इसके लिए कोशिश भी की कि तालिबान तैयार हो जाए। जब तालिबान तैयार नहीं हुआ तो अमरीका ने छोड़ दिया और फिर खुद ही इस वार्ता में शामिल हो गया। सरकार को शामिल नहीं करने को लेकर तालिबान ने कई कारण बताए हैं। तालिबान का कहना है कि 2001 में अमरीका ने उनकी सेना को उखाड़ फेंका था तो यहां पर उसकी सरकार है और बातचीत भी उसी से होगी। तालिबान का कहना है कि अफगान सरकार तो अमरीका का केवल एक कठपुतली है।
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क्यों सफल नहीं हो रहा अमरीका-तालिबान वार्ता?
वर्षों से अमरीका और तालिबान के बीच वार्ता चल रही है, लेकिन शांति बहाली को लेकर कोई ठोस कदम अभी तक नहीं बढ़ पाए हैं। विशलेषकों का मानना है कि दोनों पक्षों में कोई सहमति नहीं बन पाने के कारण ऐसा हुआ है। यह अफगान सरकार और गैर-तालिबान अफगान की असफलता है। तालिबान के साथ वार्ता के लिए प्रक्रिया आगे बढ़ती है, समझौते के टेबल पर सब आते हैं और अंततः समझौता नहीं हो पाता है। इसके पीछे एक और कारण है कि तालिबान को विश्वास है कि बिना समझौते के वह सैन्य ताकत के बल पर सत्ता हासिल कर लेगा। वार्ता सफल नहीं होने के पीछे एक कारण यह भी माना जा रहा है कि तालिबान के कई गुट हैं और शांति वार्ता पर सभी शामिल नहीं हो पाते हैं। अब जब ट्रंप सरकार ने अफगानिस्तान से सेना वापसी की घोषणा की है तो संभवत: शांति वार्ता आगे बढ़ सकता है और समझौते हो सकते हैं।
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