गढ़मुक्तेश्वर के विकास के लिए शोध के प्रस्ताव में कहा गया कि हरिद्वार और वाराणसी के तरह गढमुक्तेश्वर किसी तरह के धार्मिक छाप नहीं है जहां के लिए लोगों की ये धारणा हो की वहां जाने से सभी पाप धुल जाएंगे (जैसा कि हरिद्वार और इलाहबाद के लिए है) या जहां जाने से मोक्ष प्राप्ति (जैसा की वाराणसी के लिए माना जाता है) होती है। उस प्रस्ताव में बताया गया कि ‘यहां किसी तरह के धार्मिक स्थल या किस तरह के पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं प्राप्त है इन दोनों के वजह से ही अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन बाजार को आकर्षित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस प्लान के तहत गढ़मुक्तेश्वर को तीर्थ और आध्यात्मिक पर्यटन स्थल का रूप देकर देश-विदेश के पर्यटकों को ध्यान यहां के तरफ खींचना है। अभी लोग गंगा स्नान या उससे जुड़े धर्म करम के कार्यो के लिए हरिद्वार, वाराणसी और इलाहाबाद के तरफ रुख करते हैं। यही नहीं इन जगहों के ‘संध्या आरती’ भजन मंडली और मेले भी विश्व में प्रसिद्ध हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार अब गढ़मुक्तेश्वर को भी विश्वस्तर पर गंगा शहर के नाम से प्रसिद्ध करना चाहती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस शहर से जुड़े कुछ ऐतिहासिक तत्थों का हवाला देते हुए बताया कि इस शहर का भागवत पुराण और महाभारत में भी जिक्र है और ये पांडवो के राज्य हस्तिनापुर की राजधानी भी रही है। यहां बस एक ही वार्षिक उत्सव ‘गंगा मेला’ होता है वो भी इलाहाबाद के माघ मेला जितना प्रसिद्ध नहीं है। हालांकि पिछले साल के आकड़ो से यह बात सामने आयी है कि पिछले वर्ष करीब 31 लाख देशी पर्यटकों ने यहां गंगा में डुबकी लगायी लेकन फिर भी विदेश के पर्यटकों से अभी भी यह जगह वांछित है। इसलिए योगी सरकार के इस योजना से संभवत यहां के पर्यटन बाजार को उड़ान मिलेगी।