भाषा नहीं, ब्रेल एक तरह का कोड
दरअसल, एक दुर्घटना के कारण उनकी देखने की क्षमता छीन गई थी। जिसके बाद उन्होंने ये अद्भुत खोज की। ब्रेल लिपि के आविष्कार के बाद दुनियाभर में नेत्रहीन, दृष्टिहीन या आंशिक रूप से नेत्रहीन लोगों की जिंदगी काफी हद तक आसान हो गई। इसकी मदद से ऐसे कई लोग अपने पैरों पर खड़े हो सके। आपको बता दें कि ब्रेल एक तरह का कोड है। इसे अकसर भाषा के तौर पर देखे जाने की भूल की जाती है।
ऐसे आया था ब्रेल लिपि का आइडिया
बता दें कि ब्रेल लिपि के अंतर्गत उभरे हुए बिंदुओं से एक कोड बनाया जाता है, जिसमें 6 बिंदुओं की तीन पंक्तियां होती हैं। इन्हीं में इस पूरे सिस्टम का कोड छिपा होता है। कहा जाता है कि ब्रेल लिपि का आइडिया लुई ब्रेल के दिमाग नेपोलियन की सेना के एक कैप्टन चार्ल्स बार्बियर की वजह से आया था, जो उनके स्कूल के दौरे पर आए थे। उन्होंने बच्चों के साथ ‘नाइट राइटिंग’ नाम की तकनीक साझा की थी जिसकी मदद से सैनिक दुश्मनों से बचने के लिए उपयोग में लाया करते थे। इसके तहत वे उभरे हुए बिंदुओं में गुप्त संदेशों का आदान-प्रदान करते थे।
कंप्यूटर में भी ब्रेल सिस्टम
ये तकनीक अब कंप्यूटर तक पहुंच गई है। ऐसे कंप्यूटर्स में गोल व उभरे बिंदू जिस कारण दृष्टिहीन लोग अब तकनीकी रूप से भी मजबूत हो रहे हैं।
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