इस दिवस को मनाने की एक वजह लोगों में किताबें के प्रति रूझान बढ़ाना है। इसके साथ प्रकाशन और कॉपीराइट के लाभ के साथ पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना भी है। विश्व भर में कोरोना काल में कई बार लगे लाकडाउन के दौरान किताबों ने इंसान का भरपूर साथ दिया। इस दौरान अकेलेपन को दूर करने के लिए किताबें मनोरंजन के साथ जानकारी का अहम साधन बनीं।
क्यों मनाया जाता है ये दिवस हर साल 23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाया जाता है। इसे विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस (World Book and Copyright Day) कहा जाता है। दुनियाभर में किताबों की अहमियत को दर्शाने के लिए विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है। इस खास दिन को यूनेस्को और इसके अन्य सहयोगी संगठन आगामी वर्ष के लिए ‘वर्ल्ड बुक कैपिटल’ का चयन करते हैं। इसका उद्देश्य है कि अगले एक वर्ष के लिए किताबों से संबंधित होने वाले कार्यक्रम आयोजित हों। आने वाली नई किताबों को लेकर पाठकों को जागरूक किया जा सके। खासतौर पर नई पीढ़ी में किताबों को पढ़ने की आदत डाली जा सके।
23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे के रूप में मनाने का कारण ये भी है कि इस दिन कई प्रमुख लेखकों ने जन्म लिया या उनकी मृत्यु हो गई थी। विलियम शेक्सपियर, मिगुएल डे सर्वेंट्स और जोसेप प्लाया का 23 अप्रैल को निधन हुआ था। वहीं मैनुएल मेजिया वल्लेजो और मौरिस ड्रून 23 अप्रैल के दिन जन्म हुआ।
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देश में नहीं थम रही Corona की रफ्तार, अब एक दिन में सामने आए 3.32 लाख से ज्यादा नए केस वर्ल्ड बुक डे का 25 वां एडिशन यूनेस्को ने 23 अप्रैल, 1995 को इस दिवस को मनाना शुरू किया। इस दिवस के जरिए यूनेस्को का उद्देश्य है कि दुनियाभर के लोगों के बीच साक्षरता को बढ़ावा दिया जा सके। इसके साथ सभी तक शैक्षणिक संसाधनों की पहुंच सुनिश्चित की जा सकें। इस दिन खास तौर पर लेखक, प्रकाशक, शिक्षक, लाइब्रेरियन, सार्वजनिक और प्राइवेट संस्थाओं, मानव अधिकारों को बढ़ावा देने वाले NGO को शामिल किया जाता है।