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कौन थे बाबा राम सिंह? जिन्होंने किसानों का दर्द देख खुद को मार ली गोली !

बाबा राम सिंह हरियाणा के करनाल के रहने वाले थे। दुनियाभर में उनके लाखों की संख्या में अनुयायी हैं। ज्यादातर लोग उन्हें सिंगड़ा वाले बाबा जी के नाम से जानते हैं।

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Vivhav Shukla

Dec 16, 2020

who was sant baba ram singh ji

who was sant baba ram singh ji

नई दिल्ली। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर (सिंघु बॉर्डर) पर किसानों के धरने में शामिल 65वर्षीय संत बाबा राम सिंह जी ने (sant baba ram singh ji) बुधवार को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना का पता चलते ही उन्हें नज़दीकी अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दावा किया जा रहा है कि बाबा ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था। जिसमें किसान आंदोलन की बात करते हुए किसानों के हक के लिए आवाज़ बुलंद करने की बात की है। बताया जाता है कि हरियाणा और पंजाब के अलावा दुनियाभर में बाबा के लाखों अनुयायी हैं। जो उनकी मौत की खबर से परेशान हैं।

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कौन हैं बाबा राम सिंह?

65 साल के संत बाबा रामसिंह हरियाणा के करनाल के रहने वाल थे। उनका डेरा करनाल जिले में निसंग के पास सिंगड़ा गांव में मौजूद है। ज्यादातर लोग उन्हें सिंगड़ा वाले बाबा जी के नाम से जानते हैं। बाबा अपने सिंगड़ा वाले डेरे के साथ-साथ दुनियाभर में प्रवचन के लिए जाते थे। बाबा राम सिंह किसान समस्याओं को लेकर काफी दुखी थे। पिछले कुछ दिनों से वे दिल्ली में थे और किसानों के समर्थन में आवाज उठा रहे थे। उन्होंने हाल ही में कई शिविर की भी व्यवस्था की थी और किसानों में कंबल भी बांटे थे।

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बाबा की 'आखिरी पत्र'

अपनी जान लेने से पहले बाबा ने एक पत्र भी लिखा था। जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। ये पत्र उन्होंने पंजाबी भाषा में लिखा था। उन्होंने अपने अंतिम पत्र में लिखा कि ‘किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है। सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है। ये एक जुल्म है और जो जुल्म करता है वह तो पापी है लेकिन जो जुल्म सहता है वो भी पापी है।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा की किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है। कोई पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है। लेकिन कुछ किया नहीं। किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है। मेरे ये कदम जुल्म के खिलाफ आवाज है.. यह किसानों के हक के लिए आवाज है.. वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह..