प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक रणनीतिकार थे। माना जा रहा है कि उनकी असरदार रणनीति की बदौलत ही ममत बनर्जी राज्य में तीसरी बार सत्ता पर काबिज हो सकी हैं। प्रशांत किशोर ने चुनावी प्रक्रिया के दौरान ही कह दिया था कि भाजपा बंगाल में हो रहे इस चुनाव में सौ का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी। बहरहाल, अब जबकि उनकी बात पूरी तरह सच साबित हुई और ममता बनर्जी ने 5 मई दिन बुधवार को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुकी हैं, ऐसे में प्रशांत ने राजनीतिक रणनीतिकार की अपनी भूमिका खत्म करने का ऐलान किया है। इसका मतलब यह हुआ कि अब वह आगे किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनाव में रणनीति नहीं बनाएंगे।
हालांकि, प्रशांत किशोर का यह फैसला उनके अपने के लिए है। कंपनी और उससे जुड़े लोग पहले की तरह ही काम करते रहेंगे और विभिन्न दलों के लिए चुनाव में रणनीति तैयार करते रहेंगे। बस, नेतृत्व का चेहरा प्रशांत की जगह किसी और का होगा। हां, अब यह बड़ा सवाल है कि कंपनी में उनकी जगह कौन लेगा। कंपनी में कौन-कौन से लोग हैं, जो प्रशांत किशोर के बाद उनकी जगह ले सकते हैं।
दरअसल, प्रशांत किशोर ने वर्ष 2013 में अपने तीन दोस्तों प्रतीक जैन, विनेश चंदेल और ऋषिराज सिंह के साथ मिलकर सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गर्वनेंस संगठन की स्थापना की थी। बाद में यही इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी यानी आईपैक में बदल गई, जिसकी चर्चा और तारीफ आज सभी कर रहे हैं। आईपैक ऐसी कंपनी है, जो देशभर में विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ कांट्रेक्ट पर उनके लिए चुनावी रणनीति तैयार करती है।
आईपैक ने सबसे पहले अपने स्थापना वर्ष के एक साल बाद यानी वर्ष 2014 में पहली बार भाजपा में नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी अभियान तैयार किया। इसमें राजनीतिक रणनीति, तकनीक और सोशल मीडिया का इस्तेमाल जमकर हुआ और भारतीय राजनीति के इतिहास में यह पहली बार हुआ। इस चुनाव में भाजपा को बड़ी सफलता हासिल हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर की इस कंपनी और भाजपा की राहें अलग हो गईं। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग राज्यों में दूसरे दलों के साथ मिलकर उनके लिए चुनावी रणनीति तैयार की। ज्यादातर बार उन्हें सफलता हासिल हुई।
वर्ष 2015 में उन्होंने बिहार में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के गठबंधन को जीत दिलाने के लिए कांटे्रक्ट लिया। चुनाव में उनकी बेहतर रणनीति का नतीजा था कि यह महागठबंधन सत्ता में आया। इसके बाद वह पंजाब में अमरिंदर सिंह में नेतृत्व में चुनाव लड़ रही कांग्रेस के लिए रणनीति बनाते देखे गए। यहां भी उन्होंने सफलता हासिल की। आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस के लिए भी उन्होंन चुनाव में रणनीति तैयार की और जगन को सत्ता की कुर्सी दिलाई। अब पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के साथ खड़े दिखाई दिए और उन्हें अप्रत्याशित रूप से बंपर सीटों के साथ जीत दिलाई। इसी के साथ सिर्फ सात साल में उन्होंने अपना चुनावी रणनीतिकार का सफर खत्म कर लिया। हालांकि, उनके खाते में सफलता अधिक थी और नाकामी कम।
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बात सच साबित हुई, फिर भी लिया सन्यासयह प्रशांत किशोर ही थे जो बंगाल चुनाव में ममता के बाद भाजपा से सीधी टक्कर लेते दिख रहे थे। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि भाजपा अगर बंगाल में सौ विधानसभा सीटें जीत ले, तो वह सन्यास ले लेंगे। यह बात अलग है कि भाजपा सौ सीटें जीत भी नहीं पाई और प्रशांत किशोर ने फिर भी सन्यास ले लिया।
प्रशांत किशोर के मुताबिक, अब मैं यह काम टीम के दूसरे लोगों को सौंप दूंगा। अब अपने लिए कोई दूसरी भूमिका या काम तलाश करूंगा। असल में प्रशांत कि साथ आईपैक कंपनी की शुरुआत करने वाले प्रतीक जैन, विनेश चंदेल और ऋषिराज सिंह इसके सह-संस्थापक हैं। प्रशांत के बाद कंपनी के मुख्य कर्ताधर्ता यही तीन लोग हैं। ये तीनों युवा और काफी शिक्षित हैं।
बिहार में पटना के रहने वाले प्रतीक जैन ने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है। सौम्य और शिक्षित प्रतीक काफी लो-प्रोफाइल रहना पसंद करते हैं। प्रशांत के साथ आईपैक शुरू करने से पहले वह डेलोएट इंडिया कंपनी में एनालिस्ट के पद पर काम कर चुके थे। वह सोशल मीडिया, खासकर ट्विटर पर काफी सक्रिय रहते हैं।
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विनेश के पास है वकालत की डिग्रीप्रतीक के अलावा विनेश चंदेल भी कंपनी के सह-संस्थापक हैं। उन्होंने नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई की है। कुछ वक्त तक उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत भी की है। आईपैक से जुडऩे से पहले वह एक अंग्रेजी न्यूज चैनल में एनालिस्ट पद पर काम कर चुके हैं। सोशल मीडिया पर हैं जरूर, मगर अधिक सक्रिय नहीं रहते।
विनेश और प्रतीक के साथ-साथ ऋषिराज सिंह आईपैक के तीसरे सह-संस्थापक हैं। दिल्ली निवासी ऋषिराज ने आईआईटी कानपुर से पढ़ाई की है। आईपैक में जुडऩे से पहले वह एचएसबीसी बैंक में एनालिस्ट पद पर काम कर चुके थे। सोशल मीडिया पर हैं जरूर, मगर वह भी ज्यादा सक्रिय नहीं रहते।
प्रशांत किशोर के बाद कंपनी के निदेशक मंडल में प्रतीक जैन, विनेश चंदेल और ऋषिराज सिंह हैं। इसके बाद कंपनी में एक्जिीक्यूटिव काउंसिल का नंबर आता है। इसमें करीब एक दर्जन लोग हैं। यह कंपनी के अलग-अलग विभागों का नेतृत्व करते हैं। इनमें ज्यादातर काफी शिक्षित और तेजतर्रार है। इन सभी की शिक्षा देश-विदेश के नामी इंस्टीट्यूट और कॉलेज से हुई है। इनके बाद विभिन्न विभागों में करीब एक हजार लोग काम करते हैं। इनके जिम्मा प्रोजेक्ट और कैंपेनिंग है। कंपनी का मुख्यालय हैदराबाद में है। इसके अलावा, जिन राज्यों में राजनीतिक दल के साथ चुनाव में कांट्रेक्ट होता है, वहां अस्थायी तौर पर ऑफिस खोला जाता है।