एक्सपर्ट्स की चेतावनीः कोरोना वैक्सीन के दो माह बाद तक ना लगाएं शराब को हाथ दरअसल, कोरोना वायरस के सोर्स को लेकर चीन के वुहान शहर स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी संस्था सबसे ज्यादा निशाने पर रही है। कई लोगों का मानना है कि कई तरह के वायरसों पर रिसर्च करने वाली इसी लैब यह कोरोना वायरस लीक हुआ है।
हालांकि इस इंस्टीट्यूट के निदेशक वांग ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वुहान लैब में रखे गए चमगादड़ों में मौजूद रहने वाले कोरोना वायरस के तीन लाइव स्ट्रेन लिए गए थे, जिनमें से किसी में भी कोविड-19 वायरस नहीं मिला। वैसे भी अगर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों को ऐसा कुछ डाटा मिला होता, तो वे तुरंत ही इसके वैज्ञानिक नतीजे प्रकाशित कर चुके होते ना कि इसके लैब में से निकल जाने का इंतजार करते।
नई स्टडी में कोरोना वायरस के नए लक्षण का चला पता, अब तक अंजान थे लोग इस परेशानी से शुरू में ऐसी रिपोर्ट आई थीं कि कोरोना के शुरूआती मामले वुहान की वेट मार्केट से आये थे, लेकिन बाद में यह माना गया कि शुरूआती मामलों का इससे कोई लेना-देना नहीं था। तो संभव है कि वुहान के बाहर कोई वायरस के संपर्क में आया हो और उसे जानवरों के बाजार तक ले आया हो, जहां से इसका फैलना आसान रहा होगा।
लेकिन यह स्पष्ट है कि कोरोना वायरस को जेनेटकली इंजीनियर नहीं किया गया है। अगर ऐसा होता तो जीनोम डाटा में हेरफेर के संकेत मिल जाते। दुनिया भर के हजारों वैज्ञानिकों ने इसके जीनोम को देखा है, जिसमें इंजीनियरिंग का कोई सबूत नहीं मिला है।
विशेषज्ञों ने दिया बड़े सवाल का जवाब- क्या कोई Vaccine 100 फीसदी कारगर हो सकती है? वहीं, अगर वायरस में छेड़छाड़ की गई होती, तो भी वैज्ञानिकों को पता चल जाता। वैज्ञानिकों को डीएनए के लिए खुद से बैकबोन बनानी पड़ती, जो कि आराम से पकड़ में आ जाती और न केवल इतना, बल्कि ऐसा वायरस बनाना जो कि बीमारी फैला सके, ये लगभग नामुमकिन है। ऐसा इसलिए क्योंकि वैज्ञानिकों को इसकी जानकारी नहीं है कि क्या एक वायरस को रोगजनक बनाता है।
दरअसल, वायरस काफी जटिल और बेहद पेचीदा होते हैं। एक वायरस डेवलप करने के लिए वैज्ञानिकों को इसका हर अणु सफाई से बनाना पड़ेगा और वायरस का केवल एक छोटा-सा हिस्सा बदलने से, यह बहुत अलग बन सकता है। ऐसे में यह आसानी से कहा जा सकता है कि कोविड-19 किसी लैब में नहीं बना था।
होम आइसोलेशन में रहने वाले COVID-19 मरीजों के लिए जल्द ठीक होने का रामबाण नुस्खा वैसे भी 1900 के दशक में आए स्पैनिश फ्लू के बाद वैज्ञानिकों ने यह भविष्यवाणी की थी कि दुनिया एक और वैश्विक महामारी से गुजरेगी। जैसे-जैसे इंसान जंगली जीवों के प्राकृतिक घरों को बर्बाद करते जा रहे हैं, वैश्विक महामारी के फैलने का खतरा उतना ज्यादा बढ़ता जा रहा है। चीन या अन्य देशों पर आरोप लगाने की बजाय हमें अपने अंदर देखना चाहिए।