कोरोना से जंग में पूरी दुनिया लॉकडाउन को ही सबसे बड़ा हथियार बता रही है। भारत ने भी लॉकडाउन के जरिये ही कोरोना वायरस के विस्तार पर कुछ हद तक रोका हुआ है। एक तरफ लॉकडाउन हमारे लिए वरदान साबित हो रहा है तो दूसरी तरफ कुछ मुश्किलें भी बढ़ा रहा है। ऐसी है एक मुश्किल है पश्चिम बंगाल के 36 बारातियों की। जो लॉकडाउन की वजह से 22 दिन से बिहार में फंसे हैं।
शादी करके फंस गया यार.. वाली कहावत तो आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन हम आपको जो कहानी बताने जा रहे हैं, उसमें भी कुछ ऐसी ही परिस्थिति बन गई है। हालांकि, इसमें दुल्हन पक्ष का कोई हाथ नहीं है।
दरअसल, जिस दिन दूल्हे की बारात थी, उसके अगले ही दिन पूरे देश में लॉकडाउन (रुशष्द्मस्रश2ठ्ठ) की घोषणा हो गई। दूल्हा कोलकाता से बारात लेकर छपरा के मांझी आया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण रेलगाड़ी के साथ-साथ सड़क यातायात भी बंद हो गया।
ऐसे में दुल्हन के घरवालों ने दूल्हा-दुल्हन और बारातियों को गांव के बाहर एक स्कूल में ठहरा दिया। गांव के स्कूल को बनाया ठिकाना
पश्चिम बंगाल से आए 36 बाराती पिछले 22 दिन से गांव के एक स्कूल को अपना ठिकाना बनाए बैठे हैं। ये सभी बाराती 21 दिन के लॉकडाउन का हर दिन गिन रहे थे, लेकिन अब लॉकडाउन के बढ़ने के चलते इनकी घर जाने की उम्मीदें एक बार फिर टूट गई हैं।
गांव वाले ही इन लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था कर रहे हैं।
लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ने के कारण ये लोग परेशान हो गए हैं। सभी बाराती पश्चिम बंगाल के भिखमहि गांव से छपरा के मांझी आये थे।
इन लोगों ने वापस लौटने के लिए प्रशासन से पास भी निर्गत कराया था, लेकिन झारखंड प्रशासन ने इनके पास को अमान्य करार देते हुए वापस लौटा दिया। ससुरालवालों के साथ रह रही दुल्हन
दुल्हन भी लॉकडाउन के बाद फंसे ससुराल वालों के साथ ही रह रही है। हालांकि दुल्हान का मायका यहीं है, लेकिन चूंकी शादी हो चुकी है इसलिए दुल्हीन भी स्कूल में ही रह रही है।
बारातियों का कहना है कि गांव वाले उनकी काफी मदद कर रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव छोड़कर तमाम लोग लॉकडाउन में फंसे लोगों की मदद में जुटे हैं।