Uttarakhand Tragedy: ग्लेशियर नहीं टूटा, भूस्खलन से आया एवलांच!
भारतीय रिमोट सेंसिंग ने जारी की सैटेलाइट तस्वीरें, जिसमें 14 वर्गकिलोमीटर से बर्फ गायब दिख रही
दो से तीन मिलियन क्यूसेक पानी अचानक से नदी में आया, जिससे आई बाढ़
तीन दिन में 31 लोगों के शव मिले, 206 अब भी लापता
नई दिल्ली। चमौली के तपोवन इलाके में अचानक आई बाढ़ का कारण ग्लेशियर टूटना ( Glacier Melt ) नहीं, बल्कि भूस्खनल ( Landslide ) के कारण एवलांच आना बताया जा रहा है। भारतीय रिमोट सेंसिंग इंस्टीट्यूट ने राज्य सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में साफ किया है कि हादसे की वजह 56 सौ मीटर की उंचाई पर हुआ लैंडस्लाइड है, जिससे 14 वर्ग किलोमीटर इलाके की बर्फ अचानक से नीचे आ गई और इससे करीब दो से तीन मिलियन क्यूसेक पानी नदी में बढ़ गया।
दरअसल, रिमोट सेंसिंग की तस्वीरें पूरी तरह से स्पष्ट करती हैं कि 6 फरवरी तक उस इलाके में जो ताजी और नर्म बर्फ गिरी थी, वह पहाड़ों पर मौजूद थी, लेकिन 7 फरवरी की सेलेटलाइट तस्वीरों में करीब 14 वर्ग किलोमीटर का इलाका बिना बर्फ के नजर आ रहा है।
यहीं से बर्फ अपने साथ मिट्टी, पत्थर लेकर रिशीगंगा के डाउनस्ट्रीम में आई है। उत्तराखंड आपदा के बाद रेस्क्यू के तीसरे दिन मंगलवार को 5 और शव मिले हैं। तीन दिन में अब तक 31 लोगों के शव मिल चुके हैं। सरकार के मुताबिक हादसे के बाद 206 लोग लापता हो गए।
इनमें से 175 लोगों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। उत्तराखंड में हुए इस बड़े हादसे के पीछे अभी तक ग्लेशियर का टूटना बताया जा रहा था, लेकिन विशेषज्ञों ने सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए बताया है कि ये मामला लैंडस्लाइड यानी कि भूस्खलन का मालूम पड़ता है।
कैलगरी यूनिवर्सिटी के डॉ. डैन शुगर ने हादसे के पहले और बाद की तस्वीरों के जरिए बताया है कि अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों में आई बाढ़ का कारण भूस्खलन है। डॉ. शुगर ने एक ट्वीट में बताया कि तस्वीरों में हवा में काफी धूल और नमी भी दिखती है।
मिला ग्लेशियर का लटका हुआ टुकड़ा विशेषज्ञों को तस्वीरों में ग्लेशियर का एक लटका हुआ टुकड़ा मिला है. कहा जा रहा है कि इसमें दरार पडऩे से भूस्खलन हुआ होगा, जिसके बाद हिमस्खलन हुआ और फिर बाढ़ आई। दूसरी सैटेलाइट तस्वीरों में भी इस ओर इशारा किया गया है कि चमोली में हुए हादसे के पीछे भूस्खलन था।
आइआइटी रुडक़ी में असिस्टेंट प्रोफेसर सौरभ विजय ने भी ट्विटर पर सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए कहा कि पिछले एक हफ्ते में हुई ताजा बर्फबारी भी हिमस्खलन और बाढ़ का कारण हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार ग्लेशियल के फटने की घटना बहुत दुर्लभ है। सैटेलाइट और गूगल अर्थ की तस्वीरों में उस इलाके में ग्लेशियल झील नहीं दिखती है।
ऐसे भूस्खलन की आशंका आशंका जताई जा रही है कि नंदा देवी ग्लेशियर का एक लटका हुआ हिस्सा त्रिशूली के पास टूटकर अलग हो गया होगा। इसे रॉकस्लोप डिटैचमेंट कहते हैं। इसके कारण करीब 2 लाख स्कॉयर मीटर बर्फ 2 किमी तक नीचे गिर आई, जिससे भूस्खलन हुआ। मलबा, पत्थर और बर्फ हिमस्खलन के रूप में नीचे बह आया।
सैटेलाइट तस्वीरों में धूल के निशान देखे जा सकते हैं, ये वही हो सकता है। हालांकि, सरकार की तरफ से अब तक इसपर कोई सफाई नहीं दी गई है कि ये हादसा क्यों हुआ। जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) के महानिदेशक रंजीत रथ ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि बाढ़ ग्लेशियर झील फटने के कारण आई या भूस्खलन और हिमस्खलन के कारण अस्थायी तौर पर यह घटना घटी।
दरअसल, भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी पर 1965 में चीन पर नजर रखने के लिए सीआइए और आइबी द्वारा लगाया गया परमाणु-संचालित निगरानी उपकरण खो गया था। अभियान का संचालन करने वाली पर्वतारोहण टीम एक बर्फीले तूफ़ान में फंस गई और उस उपकरण को छोड़ कर वापस लौटना पड़ा। एक साल बाद, जब वे इस क्षेत्र में वापस गए, तो उन्हें ये डिवाइस नहीं मिल सकी। बाद के अभियानों में भी उपकरण का पता नहीं लगाया जा सका।
इस डिवाइस की जीवन अवधि 100 साल से अधिक है और माना जाता है कि यह अभी भी क्षेत्र में कहीं है। नंदादेवी बायोस्फीयर में स्थित चमोली जिले के रैणी गांव के पास जिस दिन बाढ़ आई तो वहां रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने हवा में एक अत्यंत तीखी गंध महसूस की।
रामबन में भूस्खलन, बाल-बाल बचे लोग जम्मू और कश्मीर के रामबन जिले के बनिहाल इलाके में बैटरी चश्मा के पास अचानक भूस्खलन होने की घटना सामने आई है। दरअसल यहां, रास्ता बंद होने के बाद कई लोग गाडिय़ों से नीचे उतरे थे। तभी अचानक एक पहाड़ जम्मू से नगर नेशनल हाइवे पर स्थित बैटरी चश्मा के पास आकर गिरा। जिसके बाद हडक़ंप मच गया।
समय रहते लोगों ने सुरक्षा स्थल का रुख किया और जान बचाईं। इस घटना के बाद जम्मू-श्रीनगर हाइवे यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। इस घटना से संबंधित एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें लैंडस्लाइड का मंजर साफ देखा जा सकता है।