यह नासा के उन लक्ष्यों का हिस्सा है जिसे ब्रिडेनस्टीन अंतरिक्ष में ‘नॉर्म्स ऑफ बिहेवियर’ कहते हैं। नासा की इस योजना के जरिए चंद्रमा पर निजी उत्खनन को इजाजत मिलेगी। ऐसे में भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा संबंधी अभियानों में स्पेस एजेंसीज को काफी मदद मिलेगी। यही वजह है कि चांद से मिट्टी समेत अन्य खनिजों को खरीदने के लिए नासा कुछ कंपनियों की तलाश में जुटा है।
चांद पर अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए नासा एक कदम और आगे बढ़ गया है। नासा अब चांद से मिट्टी, चट्टान, बर्फ समेत अन्य खनिजों को खरीदने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए नासा को ऐसी कंपनियों की तलाश है जो चांद पर माइनिंग कर सकें।
अपनी इस काम को अंजाम देने के लिए जल्द ही नासा कंपनियों के लिए टेंडर भी निकालेगा। इस ग्लोबल टेंडर में धरती के किसी भी हिस्से से रिसर्च करने वाली कंपनियां शामिल हो सकती हैं।
ये होगा कंपनी का काम
खास बात यह है कि मिशन मून के लिए चयनित कंपनी को मून ट्रिप का खर्च खुद वहन करना है। इसके साथ ही वहां से मिट्टी या चट्टानों के नमूने एकत्र करना है।
ये नासा का मकसद
दरअसल चांद से मिट्टी समेत अन्य खनिज लाने की मुहिम के पीछे नासा का मकसद अपनी आकाशगंगा संबंधी लालसा को कानूनी रूप देना है। इस प्रयास के जरिए नाना चांद पर खनन को लेकर कानूनी तौर पर एक उदाहरण पेश करना चाहता है, ताकि भविष्य में नासा को मून की सतह से बर्फ, हीलियम के साथ-साथ अन्य खनिज पदार्थों के खनन के लिए अधिकार मिल जाए।
स्पेस मिशन में मिले मदद
चांद से लाने वाले मिट्टी और अन्य खनिजों का इस्तेमाल नासा स्पेश मिशन को और ज्यादा कामयाब बनाने में भी करेगा। नासा भविष्य के स्पेस मिशन के लिए स्थानीय मटीरियल का इस्तेमाल करना चाहता है, इससे उसे उक्त वातावरण के साथ चांद की स्थानीय सामग्री का साथ मिलेगा तो मिशन की सफलता के चांस और बढ़ जाएंगे।
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्राइडेनस्टीन के मुताबिक मून पर खनन मुहिम के लिए अभी पैसा तय नहीं किया गया है, लेकिन प्रतिस्पर्धा के आधार पर इसे बाद में फाइनल किया जाएगा।