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उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले के नकुरी में बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई 1954 को हुआ था। किसान परिवार में जन्मी बछेंद्री की शिक्षा दीक्षा अच्छी रही। उन्होंने बी.एड. तक की पढ़ाई की। उनके पिता एक व्यापारी थे जो भारत से तिब्बत सामान बेचने का काम करते थे। प्रतिभाशाली और पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद बछेंद्री को अच्छी नौकरी नहीं मिली।
माउंटेनियरिंग’ कोर्स के लिए आवेदन करा
नौकरी न मिलने पर निराश होकर उन्होंने माउंटेनियरिंग कोर्स किया। देहरादून स्थित ‘नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग’ कोर्स के लिए आवेदन करा। यहां से बछेंद्री का जीवन पूरी तरह से बदल गया और जाने-अनजाने में उन्होंने वह सफलता हासिल कर ली जो हर किसी के लिए सपने जैसी है। वे पर्वतारोहण के एडवांस कोर्स करती गईं और उन्हें इस बीच इंस्ट्रकटर की नौकरी मिल गई थी। इस दौरान उन्हें परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का भी सामना करना पड़ा।
12 साल की उम्र में पहली चढ़ाई
बछेंद्री पाल को पहली बार 12 साल की उम्र में अपने स्कूल के साथियों साथ पहाड़ पर चढ़ने का मौका मिला। तब उन्होंने 4000 मीटर की चढ़ाई की थी। माउंटेनियरिंग के एडवांस कोर्स करने के दौरान बछेंद्री ने गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई पूरी कर डाली। उन्हें साल 1984 में भारत के चौथे एवरेस्ट अभियान की टीम में चुना गया। इसमें 6 महिलाएं और 11 पुरुष समेत कुल 17 लोग शामिल थे।
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चढ़ाई के दौरान हुआ हादसा
एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान उन्हें एक एवलॉन्च (बर्फीले तूफान) का सामना करना पड़ा था। इस तूफान के कारण सात हजार मीटर की ऊंचाई पर एक कैंप दब गया था। ऐसे में दल के कुछ साथियों ने चोटिल और थकान के कारण वापस लौटने का फैसला लिया। मगर बछेंद्री ने हार नहीं मानी और आगे बढ़ीं। 22 मई को आंग दोरजी( शेरपा सरदार) के नेतृत्व में दल ने एवरेस्ट को फतह कर लिया। वे इस दल में अकेली महिला थीं। इस उपलब्धि के बाद बछेंद्री पाल का नाम भारत के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया।
आज का इतिहास
1772: इस दिन राजा राम मोहन राय का जन्म हुआ। इन्हें आधुनिक भारत का जनक और भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत भी कहा जाता है।
1915: इन दिन प्रथम विश्व युद्ध की घोषणा इटली ने की थी। देश ने आस्ट्रिया,जर्मनी और हंगरी के खिलाफ युद्ध का फैसला लिया।
1936: ब्रेबॉर्न स्टेडियम की नींव लार्ड ब्रेबॉर्न ने ही मुंबई में रखी थी। ये देश का पहला स्टेडियम बना था।
1960: चिली के दक्षिणी तट पर भयानक भूकंप। 5,700 लोगों की की गई थी जान। उग्र लहरों ने जापान में मचाई थी भारी तबाही।
1963: भारत के पहले ग्लाइडर रोहिणी ने भरी थी उड़ान।