मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मिमी चक्रवर्ती ने कहा कि उन्हें एक वैक्सीनेशन कैंप के लिए आमंत्रित किया गया था। उन्हें बताया गया कि किन्नरों तथा अन्य दिव्यांग लोगों के लिए कोलकाता म्यूनिसिपल कॉर्पोरेश के ज्वॉइंट कमिश्नर की ओर से नि:शुल्क टीकाकरण कैंप लगाया जा रहा है। मिमी को भी इस कैंप के लिए आमंत्रित किया गया ताकि दूसरे लोग भी वैक्सीन लगवाने के लिए मोटिवेट हो।
मिमी ने बताया कि वह वहां गई और उन्होंने वैक्सीन लगवाई। परन्तु वैक्सीन लगने के बाद भी उनके फोन पर कोई मैसेज नहीं आया तो उन्होंने वैक्सीनेश सर्टिफिकेट के बारे में पूछा, जिस पर आयोजनकर्ताओं ने कहा कि अगले तीन से चार दिन में उन्हें सर्टिफिकेट मिल जाएगा। तब मिमी को संदेह हुआ और उन्होंने तुरंत ही वैक्सीनेशन को रोकने के लिए कहा।
मामला पुलिस तक पहुंचा और पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर एक आरोपी देबांजन देब को गिरफ्तार भी कर लिया। वह एक आईएएस अधिकारी तथा ज्वॉइंट कमिश्नर के फर्जी दस्तावेज और स्टाम्प भी उपयोग ले रहा था। पुलिस ने उसके पास से नीली बत्ती लगी कार को भी जब्त कर लिया है। साथ ही आरोपी अधिकारी के पास से फर्जी आईडी कार्ड सहित कई अन्य डॉक्यूमेंट्स बरामद किए गए हैं।
कोलकाता पुलिस ने कहा कि टीकों के सैंपल्स को जांच के लिए भेजा गया है ताकि टीकों के असली या फर्जी होने का पता लगाया जा सकें। इस पूरे केस को कोलकाता पुलिस डिटेक्टिव डिपार्टमेंट को ट्रांसफर कर दिया गया है। वहीं इस मुद्दे पर बोलने हुए तृणमूल कांग्रेस के मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा कि आरोपियों के पास कैंप आयोजन के लिए अनुमति नहीं थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।