तमिलनाडु सरकार द्वारा जारी अध्यादेश के मुताबिक कोरोना से मरने वालों के गरिमापूर्ण दफन या दाह संस्कार का विरोध करने वाले अथवा इस तरह के प्रयास करने वाले लोगों को तमिलनाडु जन स्वास्थ्य कानून 1939 की धारा 74 के तहत अपराधी माना जाएगा। उन्हें एक से तीन वर्ष की कैद की सजा दी जाएगी। इसके अलावा उन पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। हालांकि अध्यादेश के प्रावधानों में जुर्माने की राशि का तय नहीं है।
Jammu-Kashmir : सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़, कुलगाम में 1 आतंकवादी ढेर तमिलनाडु सरकार ने यह अध्यादेश हाल ही में कोरोना मृतक दो डॉक्टरों के दफनाने का विरोध करने के बाद आया है। हाल ही में दोनों डॉक्टरों के अंतिम संस्कार का कोरोना वायरस से मौत होने की स्थानीय लोगों ने हिंसक विरोध किया था। विरोध की वजह से पुलिस सुरक्षा में दोनों शवों को मूल स्थानों के बजाय अलग-अलग स्थानों पर दफनाया गया। यही वजह है कि अध्यादेश में कोरोना वायरस से मरने वाले किसी भी मरीज के अंतिम संस्कार का विरोध करने वालों को आपराधी माना गया है।
जिन दो डॉक्टरों के अंतिम संस्कार का विरोध किया गया उनमें एक न्यूरोसर्जन डॉक्टर साइमन हरक्यूलिस थे। उन्हें दफनाने में शामिल एक ऑर्थोपेडिक सर्जन, अस्पताल के 2 वार्ड ब्वॉय, एम्बुलेंस चालक और अन्य नागरिक शामिल थे। इन लोगों पर स्थानीय लोगों ने हमला बोला था। बाद में किसी अन्य स्थान पर पुलिस सुरक्षा में शव को दफनाया गया।
कुरनूल से YSR सांसद परिवार के 6 लोग कोरोना पॉजिटिव, सभी की हालत स्थिर इस मामले की तमिलनाडु में चिकित्सक एसोसिएशन, सीएम ई पलानासामी, डिप्टी सीएम ओ पनीरसेलवम, डीएमके नेता एमके स्टालिन व अन्य दलों के नेताओं ने विरोध किया था। साथ ही सरकार से सख्त कदम उठाने की मांग की थी।