यह वायरस संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से फैलता है। लेकिन यहां चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे मरीजों की संख्या भी कम नहीं है, जिनमें संक्रमण होने के बावजूद भी कोरोना वायरस के लक्षण ( Symptoms of coronavirus ) नहीं दिखाई देते।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में ऐसे मरीजों की संख्या 30 प्रतिशत से भी अधिक है।
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इसके साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा चीन में की गई एक हेल्थ स्टडी में ऐसे तीन प्रतिशत तक मरीज मिले हैं, जिनमें संक्रमण होने के बावजूद भी कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए।
दरअसल, मेडिकल साइंस में ऐसे मरीजों को असिम्प्टोमैटिक कहा जाता है। इस बीच सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ऐसे मरीजों को कैसे पहचाना जाए और इनसे सामाजिक दूरी कैसे बनाकर रखी जाए?
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना संक्रमण के 100 मरीजों में तीन ऐसे रोगी मिले हैं, जिनमें इस वायरस का कोई लक्षण नहीं दिखा था।
रिपोर्ट में बताया कि सामान्यत कोरोना संक्रमित लोगों में बुखार, जुकाम व खांसी के साथ शरीर में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
वहीं, संक्रमण होने के 10 दिनों के भीतर-भीतर मरीजों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। लेकिन इसके विपरीत असिम्प्टोमैटिक मरीजों में ऐसा कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता।
इस तरह के मरीजों में कोरोना के लक्षण दिखने में दो से तीन हफ्तो का समय लग जाता है।
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सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDCP) की मानें तो अमरीका में 20 प्रतिशत तक असिम्प्टोमैटिक मरीज सामने आए हैं।
वहीं, हेल्थ जर्नल नेचर की रिपोर्ट में बताया गया कि जर्मनी में 18, ईरान में 20, स्पेन में 27 और इटली में ऐसे 30 मरीज निकलकर आए हैं।
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एक्सपर्ट्स के अनुसर जिन लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, उन लोगों में कोरोना के लक्षण देरी से नजर आते हैं।
असिम्प्टोमैटिक मरीजों से सबसे बड़ा खतरा यह है कि लक्षण दिखाई न देने की वजह से वो लोग अपने परिवार और दोस्तों के बीच रहते हैं, जिससे उन लोगों में भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है।