बीते 27 मार्च को RBI ने पहली बार होम ( Home Loan ) और टर्म लोन ( Term Loan ) समेत सभी ऋणों पर 3 महीने की मोहलत की घोषणा की थी। इसके साथ ही तीन महीने के लिए क्रेडिट कार्ड के बकाया पर भी मोहलत ( Moratorium) की घोषणा की थी।
इस प्रावधान ने लोगों को तीन महीने के लिए ऋण भुगतान को स्थगित करने का विकल्प दिया, लेकिन इसने प्रभावी रूप से मासिक किस्तों की संख्या में वृद्धि की थी क्योंकि Moratorium ब्याज भुगतान पर कोई छूट प्रदान नहीं करता है। हालांकि ग्राहकों और उनके खातों की क्रेडिट हिस्ट्री को नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स ( NPA ) के रूप में टैग नहीं किया जाएगा।
याचिकाकर्ता गजेंद्र शर्मा ने RBI द्वारा 31 मई तक EMI के भुगतान पर तीन महीने की मोहलत देने के बाद Loan पर ब्याज वसूलने को चुनौती दी है। इसे अब रिजर्व बैंक द्वारा 31 अगस्त 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। याचिका में इसे असंवैधानिक करार दिया गया है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान लोगों की आय पहले ही कम हो गई है और लोगों के सामने वित्तीय चुनौतियां आ रही हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने RBI को इस मामले पर एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। बीते 30 अप्रैल को अदालत ने रिजर्व बैंक को यह चेक करने के निर्देश दिए थे कि उसकी तीन महीने की मोहलत बैंकों द्वारा लागू की भी गई है या नहीं।
पिछले सप्ताह अपनी प्रमुख नीतिगत दरों में कटौती के साथ केंद्रीय बैंक ने COVID-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से होने वाली आर्थिक गिरावट से निपटने के लिए ऋण चुकाने पर Moratorium अवधि को तीन महीने के लिए आगे बढ़ाते हुए इसकी तारीख 31 अगस्त तक कर दी थी।