पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता का बयान पढ़ कर सुनाया
याचिका पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार ( UP Government ) से पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता के उस बयान को लेकर स्पष्टीकरण मांगा, जो उन्होंने मीडिया में दिया था। सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि केएल गुप्ता ने विकास दुबे एनकाउंटर ( ( Vikas Dubey encounter ) के बाद अपने बयान में पुलिस को क्लीन चिट दी थी। इसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ( Solicitor General Tushar Mehta ) ने कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखा और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता का बयान पढ़ कर सुनाया।
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जांच आयोग के सदस्य को नहीं बदल सकते
दोनों पक्षों की ओर से दी गईं दलीलों पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ( Chief Justice Sharad Arvind Bobde ) ने याचिकाकर्ता से साफ कहा कि हम विकास दुबे एनकाउंटर मामले ( Vikas Dubey encounter case ) में गठित जांच आयोग के सदस्य को नहीं बदल सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता ने नपातुला बयान दिया था, उन्होंने कहा था कि इस मामले में अगर पुलिस का फॉल्ट पाया जाता है, तो उनको दण्ड मिलना चाहिए।
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पूर्वाग्रह का आरोप लगाने से बचने की भी अपील
मुख्य न्यायधीश बोबडे ( CJI Sharad Arvind Bobde ) ने कहा कि जांच आयोग में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज बीएस चौहान और एक हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज शशिकांत अग्रवाल शामिल हैंं ऐसे में पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने की कोई वजह नहीं हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस तरह से पूर्व डीजीपी पर पूर्वाग्रह का आरोप लगाने से बचने की भी अपील की।