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सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा- बेटी देर तक बाहर हो तो लगता है डर

BHU में लड़कियों पर लागू नियम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा ने महिला सुरक्षा को लेकर एक बड़ी टिप्प्णी की है।

Jan 04, 2018 / 07:22 pm

Chandra Prakash

BHU
नई दिल्ली। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय के हॉस्टल की छात्राओं के लिए कॉलेज द्वारा बनाए गए नियमों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि अगर मेरी बेटी भी देर से लौटती है तो उसके साथ मेरी पत्नी या मैं खुद साथ में रहता हूं। जस्टिस अरुण मिश्रा लड़कियों के लिए कर्फ्यू का समय शाम आठ बजे से करने पर टिप्पणी कर रहे थे।

आठ बजे के बाद लड़कियों के लिए ‘कर्फ्यू’
याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने बीएचयू के इस फैसले को भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि लड़कों के लिए कर्फ्यू का समय रात दस बजे से शुरू होता है जबकि लड़कियों के लिए यह समय आठ बजे से शुरू हो जाता है।

BHU ने जारी किया तुगलकी फरमान
प्रशांत भूषण ने छात्राओं की तरफ से कहा कि छात्राओं को अपने हॉस्टल में मुफ्त वाई-फाई से इंटरनेट के इस्तेमाल पर भी रोक है। छात्राएं मेस में अपनी पसंद का कपड़ा भी नहीं पहन सकती हैं। छात्राओं को कालेज कैंपस में मांसाहारी भोजन की मनाही है जबकि छात्र जो चाहे खा सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि क्या इस बारे में कोई लिखित आदेश है जिसके आधार पर हम कोई आदेश पारित करें। कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा कि आप किसी पीड़ित लड़की को पेश करें या कोई पीड़ित लड़की याचिका दायर करें । कोर्ट ने प्रशांत भूषण से कहा कि आप उस याचिकाकर्ता लड़की का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।

क्या है पूरा मामला
बता दें कि 21 सितंबर 2017 को शाम 7 बजे बीएचयू कैंपस में हॉस्टल के पास बाइक सवार लड़कों ने एक छात्रा से छेड़छाड़ की थी। छात्रा ने अपनी दोस्तों के साथ इसकी शिकायत प्रॉक्टोरियल बोर्ड से की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके अगले ही दिन बीएचयू प्रशासन के खिलाफ सैकड़ों छात्र-छात्राए कॉलेज के मेन गेट पर धरने पर बैठ गए। दूसरे दिन पर धरना जारी रहने पर कॉलेज प्रशासन ने स्टूडेंट्स पर लाठी चार्ज करवा दिया। जिससे मामला बिगड़ गया। इसके बाद बीएचयू ने एक सर्कुलर जारी कर ऐलान कर दिया कि रात आठ बजे के बाद लड़कियां हॉस्टल से बाहर नहीं निकलेंगी। यही नहीं रात 10 बजे के बाद लड़कियों के मोबाइल इस्तेमाल पर भी बैन लगा दिया गया था।

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