अनुच्छेद 370 पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी। याचिका सूचीबद्ध न होने की वजह से आज सुनवाई नहीं हुई। पहली याचिका में अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध किया गया है तो दूसरी याचिका में कश्मीर में पत्रकारों से सरकार का नियंत्रण हटाने की मांग की गई है।
असदुद्दीन ओवैसी ने मदीना चौक पर फहराया झंडा, कहा- ‘गोडसे की औलाद जिंदा है’ मोदी सरकार ने मनमानी की सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका शीर्ष अदालत में वरिष्ठ वकील एमएल शर्मा ने डाली है। उन्होंने अपनी याचिका में बताया है कि सरकार ने आर्टिकल 370 हटाकर मनमानी की है। मोदी सरकार ने इस मामले में संसदीय रास्ता नहीं अपनाया है। इस लिहाल से राष्ट्रपति का आदेश असंवैधानिक है। शीर्ष अदालत को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
शीर्ष अदालत में दूसरी याचिका कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद पत्रकारों पर लगाए गए नियंत्रण खत्म किए जाएं।
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि आज, राष्ट्रपति-पीएम समेत कई सरकार का निर्णय गैर संवैधानिक बता दें कि पांच अगस्त, 2019 को मोदी सरकार ने जब ये फैसला लिया और जिस तरह दोनों सदनों से ये बिल पास हुआ, उस पर तभी से सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस समेत विपक्ष की कुछ पार्टियों ने इस बिल और तरीके को गैरसंवैधानिक बताया है।
कांग्रेस ने दावा किया है कि सुप्रीम कोर्ट में ये बिल नहीं टिकेगा। हालांकि कुछ संविधान विशेषज्ञों ने इस फैसले को सही भी बताया है।
तमिलनाडु सरकार ने इसरो के चेयरमैन के. सिवन को ‘कलाम पुरस्कार’ से नवाजा घाटी में लागू है 144 अभी भी जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लागू है। स्कूल-कॉलेज, मोबाइल इंटरनेट, मोबाइल कॉलिंग बंद हैं। टीवी-केबिल पर भी रोक लगी हुई है। इस बीच कई नेताओं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला, सज्जाद लोन शामिल हैं उन्हें नजरबंद किया गया है। इसी को लेकर कई राजनीतिक दल मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।