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कोटा में फंसे 540 छात्र दिल्ली लौटे, मजदूरों की घर वापसी कब !

बसों में बैठाते समय किया गया सोशल डिस्टेंसिंग का पालन
बस स्टैंड पर मेडिकल कराने के बाद ही छात्रों को घर भेजा
दिल्ली में यूपी-बिहार और झारखंड के मजदूरों की संख्या ज्यादा

May 03, 2020 / 07:24 pm

Navyavesh Navrahi

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लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों और छात्रों की घर वापसी कराना एक बड़ी समस्या के रूप में राज्य सरकारों के सामने है। सरकारों पर एक तरफ कोरोना मरीजों की संख्या कम करने का दबाव है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र के फैसले के बाद मजदूरों और छात्रों को एक से दूसरे राज्य में लेजाने पर मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होने की आशंका है। LNJP के मेडिकल डायरेक्ट भी बढ़ने वाली संख्या के बारे में चेता चुके हैं।
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40 बसों में पहुंचे 540 छात्र

इसी बीच आज राजस्थान के कोटा में फंसे दिल्ली के 540 छात्र दिल्ली पहुंच गए हैं। 40 बसों में सवार ये छात्र सुबह 5 बजे दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे पर पहुंचे थे। कोरोना के खिलाफ पूरी तैयारी कर चुकी दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सबसे पहले ISBT पर ही छात्रों का मेडिकल परीक्षण किया। उसके बाद सभी छात्रों को उनके घर भेज दिया। इसके साथ ही सवाल यह भी उठ रह है कि दिल्ली में फंसे प्रवासी मजदूरों को कब वापस भेजा जाएगा?
दिल्ली में हैं यूपी-बिहार-झारखंड के मजदूर

अधिकारियों के अनुसार- दिल्ली में यूपी-बिहार और झारखंड के मजदूरों की संख्या ज्यादा है। हालांकि सरकार ने इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए 10 नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए हैं। ये अधिकारी अलग-अलग राज्यों से बात करके काम को आगे बढ़ाएंगे। हालांकि यहां फंसे मजदूरों को वापस बुलाने को लेकर यूपी, बिहार या अन्य राज्यों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है। ऐसे में ये मजदूर कब घर लौटेंगे, इस पर संशय बना हुआ है।
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सिर्फ तीन राज्यों के छात्र ही बचे

वापस लाए गए छात्रों में से एक पुष्कर का कहना है कि- वो कोटा में रहकर NITकी तैयारी करते हैं। कोटा में वे पेइंग गेस्ट के रूप में एक हॉस्टल में रहते थे। पुष्कर के अनुसार- वहां पर उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी। हॉस्टल के मालिक सबको अपने बच्चों की तरह रखता था। वापस आने के बारे में वे कहते हैं- लेकिन जब देश के अन्य राज्यों के बच्चे अपने अपने घर चले गए, तो वहां पर सिर्फ बिहार, झारखंड और दिल्ली के बच्चे ही रह गए। थे। तब थोड़ी सी परेशानी होने लगी। पुष्कर ने कहा कि हॉस्टल में अकेले रह जाने के कारण मन दुखी रहने लगा। अब अपने दिल्ली में अपने घर पहुंच पुष्कर बेहद खुश हैं।
खाने-पीने की जरूरत भी की गई पूरी

कोटा से दिल्ली लाने के इस पूरे अभियान को दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्रालय की टीम देख रही थी। इस टीम में 12 अधिकारी थे। अधिकारियों की इस टीम का नेतृत्व कर रहे वेलफेयर ऑफिसर मनोज यादव के अनुसार- बच्चों को लाने में कहीं कोई दिक्कत नहीं हुई। बस में चढ़ने से पहले और दिल्ली आने तक इन बच्चों का पूरा ध्यान रखा गया। मेडिकल जांच के अलावा खाने-पीने की जरूरत भी पूरी की गई।
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सोशल डिस्टेंस का पालन

छात्रों को लाने के लिए भेजी गई बसों में सोशल डिस्टेंसे का पूरी तरह से पालन किया गया। एक बस में अधिकतम 20 बच्चों को ही बिठज्ञया गया। उसके बाद छात्र-छात्राओं का कश्मीरी गेट बस अड्डे में मेडिकल परीक्षण किया गया। बस अड्डे पर हेल्प डेस्क बनाया गया था। यहां छात्रों को घर ले जाने में सहायता के लिए डॉक्टर, पुलिसकर्मी और परिवहन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे।
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अभिभावक बार-बार लगा रहे थे गुहार

सभी छात्र कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए गए थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से देश में लागू लॉकडाउन की वजह से पिछले एक महीने से घर नहीं लौट पा रहे थे। गौरतलब है कि दिल्ली में छात्राओं के अभिभावक दिल्ली सरकार से बार-बार इन छात्र-छात्राओं को वापस लाने के लिए गुहार लगा रहे थे। इसके बाद शनिवार को दिल्ली सरकार ने डीटीसी की 40 बसों को कोटा के लिए रवाना किया था।

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