scriptजादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने बनाया कोविद-19 की पहचान करने वाला उपकरण, जानिए कैसे करेगा काम | Students of Jadavpur University made a tool to identify Kovid-19, know how it will work | Patrika News
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जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने बनाया कोविद-19 की पहचान करने वाला उपकरण, जानिए कैसे करेगा काम

उपकरण कोविद-19 की पहचान करने में मददगार
कोरोना वायरस के लक्षणों की करेगा पहचान
उपकरण में लगे हैं आवाज वाला सेंसर

Apr 28, 2020 / 04:24 pm

Dhirendra

Jadavpur University

जादवपुर यूनिवर्सिटी के दो छात्रों ने कोविद—19 की पहचान करने वाला उपकरण तैयार किया।

नई दिल्ली। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा हर स्तर पर प्रयास के बावजूद कोरोना वायरस ( coronavirus ) अभी तक नियंत्रण में नहीं आया है। यहां तक कि मेडिकल साइंस ( Medical Science ) के वैज्ञानिक भी इस महामारी को काबू में करने के लिए वैक्सीन नहीं बना पाए हैं।हालांकि इसको लेकर शोध कार्य दुनिया भर में जारी है लेकिन कोरोना अभी तक सभी के नियंत्रण से बाहर है।
इस बीच कोलकाता स्थित जादवपुर विश्वविद्यालय ( Jadavpur University ) के 2 छात्रों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जिससे एक नई उम्मीद जगी है। इस विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा तैयार यह उपकरण यह बताने में सक्षम है कि खांसने वाला व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित है या नहीं। खासने वाले व्यक्ति में कोरोना के लक्षण हैं या नहीं।
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विश्वविद्यालय के नवोन्मेष परिषद ( Innovation Council ) के एक शिक्षक ने मंगलवार को कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के स्नातक के 2 छात्रों ने एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो खांस रहे व्यक्ति का पता लगाएगा और यह विश्लेषण करेगा कि क्या व्यक्ति कोरोना वायरस का संभावित मरीज है या नहीं।
इस उपकरण का इस्तेमाल कोविड-19 ( Covid-19 ) के पहले स्तर के जांच के रूप में किया जा सकता है। यह उपलब्ध आंकड़ों के तहत कोविड-19 के वाहक का पता लगाएगा जिससे इस वायरस के रोकथाम में मदद मिलेगी।
नवोन्मेष परिषद के शिक्षक ने इस बात का भी जिक्र किया कि छात्रों द्वारा विकसित उपकरण में तस्वीर और आवाज वाले सेंसर लगे हुए हैं। अगर कोई व्यक्ति इस उपकरण से दूर भी है तो यह काम करेगा और एक ही समय पर खांस रहे कई लोगों की पहचान कर सकता है।
इस डिवाइस का इस्तेमाल कार्यालय, कक्षा सहित अन्य सार्वजनिस स्थानों पर किया जा सकता है। इस उपकरण का इस्तेमाल सार्वजनिक स्थलों पर कोविड-19 के संभावित मरीजों का पता लगाने के लिए ड्रोन में भी किया जा सकता है।
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बता दें कि अन्येसा बनर्जी और अचल निल्हानी ने इस उपकरण का निर्माण प्रोफेसर पी वेंकटेश्वरन की देखरेख में किया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद, कोलकाता और कोरोना वायरस मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने भी इस उपकरण को उपयोगी बताया है।

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