भारत-चीन के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की बातचीत आज, हॉट स्प्रिंग- गोगरा पर फोकस
9 अप्रैल 2021 के बाद अब हो रही भारत-चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत, इस मीटिंग में पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल के गोगरा और हॉट स्प्रिंग जैसे विवादित इलाके से डिसइंगेजमेंट पर होगी चर्चा
नई दिल्ली। पिछले 14 महीने से अधिक समय से LAC पर शांति बनाए रखने के लिए भारत और चीन ( Indian China Border dispute ) के सैन्य कमांडर्स के बीच लगातार कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इसी कड़ी में शनिवार को सैन्य कमांडर स्तर की 12वें दौर की बातचीत होगी।
भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ( PLA ) के कोर कमांडर-रैंक के अधिकारियों के बीच बातचीत वास्तविक नियंत्रण रेखा ( LAC ) के चीनी पक्ष मोल्दो में सुबह 10.30 बजे शुरू होगी। मीटिंग के दौरान देशों के सैन्य कमांडर्स अगले दौर के डिसइंगेजमेंट पर चर्चा करेंगे।
इस मीटिंग में पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) के गोगरा और हॉट स्प्रिंग जैसे विवादित इलाके से डिसइंगेजमेंट यानी सैनिकों को पीछे हटने पर बातचीत होगी। बता दें कि इसी साल जनवरी के महीने में पहले चरण के डिसइंगेजमेंट के बाद भी एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव बना हुआ था।
भारतीय सेना और पीएलए ने पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए पिछले साल 6 जून से कोर कमांडर-रैंक के अधिकारियों के बीच 11 दौर की बातचीत की है। सैन्य वार्ता का महत्वपूर्ण परिणाम नौवें दौर की बातचीत के बाद फरवरी में सामने आया, जब पैंगोंग त्सो सेक्टर में फ्रंट लाइन सैनिकों की वापसी रही।
ये हुआ है करार दोनों देशों की सेनाओं के बीच जो डिसइंगेजमेंट करार हुआ। इसके तहत दोनों देशों की सेनाओं ने पैंगोंग त्सो लेक के उत्तर यानी फिंगर एरिया और दक्षिण में कैलाश हिल रेंज को पूरी तरह से खाली कर अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे भेज दिया था।
अब 12वें दौर की बातचीत का फोकस हॉट स्प्रिंग्स, गोगरा और डेपसांग में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया को बढ़ावा देना है। दोनों सेनाओं के पास लद्दाख थिएटर में 50 से 60 हजार सैनिक हैं। पैंगोंग त्सो सेक्टर में डिसइंगेजमेंट के बाद भी सैनिकों की तैनाती कम नहीं हुई है।
हालांकि, पिछली मीटिंग में चीन ने पैंगोंग त्सो इलाके को छोड़कर किसी दूसरे इलाके में विवाद होने से इनकार किया था, लेकिन इसी महीने भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद सैन्य कमांडर्स की मीटिंग पर सहमति बनी थी। यही वजह है कि शनिवार को होने वाली मीटिंग को काफी अहम माना जा रहा है।