विशेष जज वीरेंद्र कुमार गोयल ने माधवन नायर के अलावा इसरो के तत्कालीन निदेशक ए. भास्कर नारायण राव, एंट्रिक्स के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक के.आर. श्रीधर मूर्ति, अंतरिक्ष विभाग में अतिरिक्त सचिव रहीं वीणा एस. राव और अन्य को समन भेजा है। इन्हें आगामी 23 दिसम्बर को अदालत में पेश होने के निर्देश दिए गए हैं।
अदालत ने इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के आरोप-पत्र का संज्ञान लेने के बाद इस संबंध में आदेश दिए हैं। सीबीआई ने पहले अदालत को बताया था कि इन पूर्व लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी संबंधित अधिकारियों से ली जा चुकी है।
जांच एजेंसी ने 16 मार्च 2015 को नायर एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। उन पर आरोप लगाया था कि इसरो की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स से निजी मल्टीमीडिया कंपनी देवास को गलत तरीके से 578 करोड़ रूपए का फायदा पहुंचाया। सीबीआई ने पिछले साल 11 अगस्त को आरोप-पत्र दाखिल किया था। एजेंसी ने उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुप
योग करते हुए सरकारी खजाने को 578 करोड़ रुपए की चपत लगाई।
यह मामला एंट्रिक्स की ओर से एस-बैंड ट्रांसपोंडरों और मोबाइल फोन में रिसीवरों को वीडियो, मल्टी-मीडिया और सूचना सेवाएं मुहैया कराने के लिए जीसैट उपग्रह के ट्रांसपोंडर देवास मल्टी-मीडिया को लीज पर देने से जुड़ा मामला है।
बता दें अंतरिक्ष-देवास डील के चलते ही जी. माधवन नायर को इसरो के चेयरमैन का पद समय से पहले ही छोड़ना पड़ा था। जिस वक्त यह डील हुई थी उस समय नायर अंतरिक्ष गवर्निंग काउंसिल के भी चेयरमैन थे।
एंट्रिक्स इसरो की व्यावसायिक इकाई है और देवास एक निजी कंपनी है। इन दोनों के बीच साल 2005 में एक डील हुई थी। इस डील के तहत तहत दुर्लभ एस-बैंड की फ़्रीक्वेंसी में से कुछ भाग एंट्रिक्स ने देवास को देना था जिससे वो मल्टी मीडिया डिजिटल सर्विस दे सकता था।