महीना भर पहले आयोग ने 1500 बूथ की लिमिट को एक हजार करने के निर्देश दिए थे, वह कर भी दिए गए हैं। ऐसा करते ही 33 हजार पोलिंग कर्मचारियों की जरूरत हमें बिहार के भीतर होगी। सुरक्षा कर्मचारी इससे अलग हैं। दो दिन पहले हुई चर्चा में यह लिमिट 250 करने का सुझाव राजनीतिक दलों की ओर से आया है। हम इस पर भी विचार कर रहे हैं। इसके लिए कितना मैनपावर जरूरी होगा, उस पर भी विचार कर रहे हैं। पोलिंग स्टेशन पर मास्क, सेनिटाइजर, ग्लब्स भी देंगे। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखेंगे। इसकी पूरी तैयारी हो गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने साफ किया कि अभी देश में आॅनलाइन चुनाव का कोई विकल्प नहीं है और हाल के हालातों में यह संभव भी नहीं है। 65 वर्ष आयु के लोगों को पोस्टल बैलेट से वोट देने के प्रस्ताव पर उन्होंने कहा कि कानून मंत्रालय के नोटिफिकेशन के बाद राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया आई। कई तरह के सवाल उठाए गए। हालांकि हमने पूरी प्रक्रिया को रिव्यू करने के बाद बिहार चुनाव तक इसको रोका है। लेकिन इसका मतलब कतई नहीं है कि यह सदा के लिए खत्म हो गया है। जैसे ही हालात सामान्य होंगे, हम इसको ज्यादा सुरक्षा के साथ लागू करेंगे।
सुनील अरोड़ा ने कहा कि सोशल मीडिया का जिस तरह से उपयोग हो रहा है, उसमें जरूरत है कि इसके लिए मॉनिटरिंग कमेटी बनाई जाए। हालांकि एक बात अभी स्पष्ट है कि चुनाव के माहौल में सोशल मीडिया आम आदमी के मन को बदलने की ताकत नहीं रखता है। हमने कानून मंत्रालय को चुनाव सुधार का पूरा ड्राफ्ट दिया हुआ है। कानून मंत्री से भी बात हुई है। प्रक्रिया जारी है, आने वाले लोकसभा सत्र में कुछ प्रस्ताव आ सकते हैं। दूसरे देशों की तुलना में हमारे यहां पर चुनाव प्रक्रिया काफी बेहतर है और पार्टियां काफी हद तक गंभीर हैं।