पंद्रह साल से सफलतापूर्वक चल रही वोल्वो बस को नकार कर स्वीडिश कंपनी स्कैनिया से 27 लग्जरी बसों की खरीद की गई, जबकि दोनों बसों की कीमतें लगभग समान थीं। स्कैनिया की मेंटीनेंस कीमत कम और पाट्र्स की लागत ज्यादा थी। लेकिन स्कैनिया वोल्वो की तुलना में कमतर साबित हो रही हैं।
स्कैनिया की 27 बसें अब तक काफी चल चुकी हैं। वहीं 10 बसें दस लाख किमी से अधिक चल चुकी हैं। वोल्वो व अन्य बसों अपेक्षा इसके टायर भी जल्दी खराब हो रहे हैं। वहीं इन बसों के पुर्जे भी तुलनात्मक रूप से जल्दी व अधिक खराब हो रहे हैं। ऐसे में हमेशा 5-7 बसें यार्ड में ही नजर आती हैं।
– 2015 से 17 के बीच खरीदी गई थी 27 स्कैनिया बसें भाजपा सरकार के कार्यकाल में।
– 10 मल्टीएक्सएल बसें 1.16 करोड़ रुपए प्रति बस की लागत से खरीदी गई थी।
– 2016-17 में 17 बसें 1.02 करोड़ रुपए प्रति बस की लागत से खरीदी गई।
– 05 साल तक इन बसों के मेंटीनेंस का ठेका भी स्कैनिया को ही दिया गया।
– 1.52 रुपए प्रति किमी के हिसाब से आज तक राशि स्कैनिया कंपनी को दे रहा है रोडवेज निगम।
– प्रताप सिंह, परिवहन मंत्री