यह अहम बैठक 5 जुलाई को गाजियाबाद में होने जा रही है। खास बात यह है कि बैठक में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के करीब 30 से 40 पदाधिकारी शामिल होंगे। यह भी पढ़ेँः
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बीजेपी पिछले लंबे समय से जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के साथ ही शांति बहाली को लेकर कोशिश करती नजर आ रही है। आर्टिकल 370 और 35ए हटाए जाने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर राजनीति का केंद्र भी बना हुआ है। हाल में पीएम मोदी ने खुद जम्मू-कश्मीर के तमाम दलों के नेताओं के साथ विस्तार से चर्चा की।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि घाटी में चुनाव से पहले बीजेपी की जमीन मजबूत करने में आरएसएस भी अहम रोल निभा सकती है। यही वजह है कि आरएसएस चीफ मोहन भागवत मुस्लिम नेताओं को संबोधित करने जा रहे हैं। इस संबोधन में जम्मू-कश्मीर के मुद्दों पर ही फोकस रहेगा। माना जा रहा है कि इस बैठक में अलगाववाद का मुद्दा भी अहम होगा।
भागवत के संबोधन के पीछे ये दो वजह
भागवत के मुस्लिम मंच को संबोधित करने के पीछे दो बड़ी वजह है। पहली- वर्ष 2022 में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के गठन को 20 साल पूरे हो रहे हैं। यही वजह है कि बैठक में आने वाले सालों का रोडमैप तैयार किया जाएगा।
मंच के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजल ने बताया कि संगठन एक देशव्यापी जनआंदोलन तैयार करेगा, जिसका मकसद पाकिस्तान के अधिकृत वाले कश्मीर के हिस्से को भी वापस लेने की दिशा में सरकार काम करे। अपना वादा पूरा करे।
दूसरी- जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की छवि को चमकाने के लिए मुस्लिमों के हितों की बातचीत और उनके मुद्दों को समझकर हल करने की कोशिश।
ये भी होंगे बैठक में शामिल
बैठक में सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार, आरएसएस के पदाधिकारी राम लाल, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के अलावा जम्मू-कश्मीर के विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।
यह भी पढ़ेँः जम्मू-कश्मीर में नहीं थम रहा ड्रोन दिखने का सिलसिला, लगातार चौथे दिन एयरफोर्स स्टेशन से महज 10 किमी दूरी पर दिखे दो ड्रोन इन मुद्दों पर भी चर्चा संभवअफजल ने कहा कि पाकिस्तान से गिलगित और बाल्टिस्तान के क्षेत्रों को भारत में मिलाने पर भी आगे आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान से गिलगित और बाल्टिस्तान के क्षेत्रों को वापस लेने के लिए केवल एक चीज के बारे में बात करेंगे और केंद्र से इसे अंतिम रूप से निपटाने के लिए कहेंगे।
कश्मीर के अलावा सालों से किए गए कार्यों के सुदृढ़ीकरण, मदरसों के आधुनिकीकरण, देश के निर्माण में मुस्लिम समुदाय की अधिक भागीदारी और उठाए जाने वाले प्रोजेक्ट जैसे मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है।