आशीष ने एफआईआर में बताया है कि उसकी पत्नी ने मात्र 6 महीने के गर्भ के बाद ही जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया था, लेकिन बाद में यह सामने आया कि उनमें से एक बच्चा जीवित था। समय से पहले जन्म लेने के कारण वह कमजोर था, जिसकी वजह से उसे नर्सरी में रखना जरूरी था। ऐसे में बच्चे की सेहत को ठीक करने और उसे खतरे से बाहर लाने के लिए डॉक्टरों ने 50 लाख रुपए की डिमांड की थी। आशीष ने इसके अलावा एफआईआर में यह भी कहा, ‘पहले तो मैक्स अस्पताल ने मेरे बच्चों को मृत घोषित करके बड़ी गलती की, मेरे बच्चों के इलाज में लापरवाही की। मृत बताते हुए दोनों को पार्सल में पैक करने की तैयारी की।’
वहीं दूसरी तरफ इस मामले में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने भी अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही उन्होंने ये आश्वासन दिया है कि दोषी पाए जाने पर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाएगी और अगर जरूरत पड़ी तो उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
आशीष ने अपनी शिकायत में लिखा है कि मैक्स अस्पताल ने बच्चों के बचने की बहुत ही कम संभावना जताई थी और कहा 35,000 रुपये की कीमत के 3 इंजेक्शन लगेंगे। इंजेक्शन लगाए जाने के बाद डॉक्टरों ने कहा कि शिशुओं के बचने की संभावना 30 फीसदी तक पहुंच गई है। आशीष ने यह आरोप भी लगाया कि बच्चों को खतरे से बाहर लाने के लिए नर्सरी में रखा जाएगा जिसपर 50 लाख रुपए तक का खर्च आएगा।
आपको बता दें कि ये घटना बीते 30 नवंबर की है। अस्पताल में एक महिला ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। इसमें एक लड़की थी और एक लड़का था। जन्म के बाद डॉक्टरों ने बताया कि लड़की की मौत तो जन्म के दौरान ही हो गई थी, लेकिन एक बच्चा जिंदा है लेकिन उसकी हालत सीरियस है। इसके कुछ देर बाद डॉक्टरों ने दूसरे बच्चे को भी मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद जब परिवारवाले बच्चे को लेकर वहां से जाने लगे तो कपड़े में लिपटने बच्चे ने हिलना शुरू किया। तब जाकर परिवारवालों को पता चला कि अस्पताल ने जिंदा बच्चे को मृत घोषित कर दिया है। वो तुरंत उस बच्चे को लेकर पास के ही एक अस्पताल में पहुंचे। इसके बाद मैक्स अस्पताल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।