Report : महिलाएं बिना वेतन के घर में रोज करती हैं 5 घंटे से ज्यादा काम
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की समय उपयोग रिपोर्ट में पहली बार हुआ रोचक खुलासा।
परिश्रम के आधार पर आय गणना में हो शामिल तो बढ़ जाएगी देश की जीडीपी।
अध्ययन रिपोर्ट महिलाओं के योगदान को मान्यता देने की दिशा में पहला कदम।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की समय उपयोग रिपोर्ट में पहली बार हुआ रोचक खुलासा।
बेंगलूरु। महिलाएं अक्सर कहती हैं कि उनके घरेलू कामकाज की कोई कीमत नहीं आंकी जाती। बात सही भी है…! वे दिन पांच से आठ घंटे घरेलू कामकाज में व्यतीत करती हैं, वो भी बिना किसी पगार के। खाना बनाने, साफ-सफाई, कपड़ा धोने, बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल के सामाजिक कार्यों में भी पुरुषों के साथ बराबरी से शामिल होती हैं। जहां तक जीवकोपार्जन संबंधी काम की बात है तो उसमें महिलाओं और पुरुषों के समय के उपयोग में अंतर है।
60 के बाद महिलाओं पर काम का बोझ कम हो जाता है देश में पहली बार सरकारी अध्ययन रिपोर्ट ( Report ) से ऐसे तथ्य सामने आए हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की समय उपयोग रिपोर्ट के मुताबिक कामकाज, अध्ययन या खुद की देखभाल में भी पुरुष महिलाओं से ज्यादा समय का उपयोग करते हैं। बढ़ती उम्र के साथ घरेलू कामकाज के मामले में महिलाओं और पुरुषों के समय उपयोग की स्थिति बदल जाती हैं। जहां 60 साल से अधिक उम्र की महिलाओं पर घरेलू कामकाज का बोझ घट जाता है, वहीं पुरुषों को इसमें ज्यादा वक्त देना पड़ता है। यह सर्वे पिछले साल 1.38 लाख परिवारों पर किया गया था, जिसमें 6 वर्ष से ऊपर के लोग शामिल थे।
महिलाओं के योगदान को मान्यता समाजशास्त्री डॉ विभा सिंह ने कहा कि यह बात सर्वसत्य है लेकिन खुशी है कि सर्वे ने पहली बार इसे स्वीकारा है। निश्चित ही यह महिलाओं के योगदान को मान्यता देने की दिशा में पहला कदम हो सकता है। समाजशास्त्र की प्राध्यापिका डॉ इंदु वीएस ने कहा कि पुरुष अगर काम से धन अर्जित करते हैं तो महिलाएं भी घरेलू काम कर परिवार की मदद करती हैं, उनके इस योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
NCRB data 2019 : दिल्ली में 7 गुना ज्यादा बढ़े अपराध, इस मामले में सबसे ज्यादा इजाफा तो बढ़ जाएगी देश की जीडीपी अर्थशास्त्री प्रो. निरंंजन कुमार कहते हैं कि अगर घर में नौकरानी भी रखते हैं तो उसे भी मजदूरी देते हैं। इस लिहाज से अगर महिलाओं के काम मल्यांकन हो और आमदनी को अर्थव्यवस्था में शामिल किया जाए तो देश की सकल घरेलू उत्पाद की स्थिति ही बदल जाएगी।
बच्चोंं की देखभाल में बराबरी अगर भागीदारी की बात करें तो 81 फीसदी महिलाओं की तुलना में सिर्फ 26 फीसदी पुरुष ही घरेलू कामकाज में भाग लेते हैं। पुरुष खरीदारी का काम करते हैं जबकि महिलाएं खाना बनाने और सफाई का काम करती हैं। पारिवारिक देखभाल के काम भी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से ज्यादा हैं। पुरुषों 14 फीसदी भागीदारी की तुलना में महिलाओं की भागीदारी 28 फीसदी है। हालांकि, बच्चों की देखभाल में दोनों की भागीदारी बराबर की होती है।
कठिन संघर्ष से देश के सर्वोच्च नागरिक बने Ramnath Kovind, ठुकरा दी थी आईएएस की नौकरी शहरी और ग्रामीण महिलाओं के समय उपयोग में अंतर सर्वे में शहरी और ग्रामीण महिलाओं के समय उपयोग में भी अंतर हैं। ग्रामीण महिलाएं काम पर ज्यादा समय व्यतीत करती हैं जबकि शहरी महिलाएं अध्ययन, सीखने, सामाजिक व मनोरंजक में समय व्यतीत करती हैं। सर्वे के मुताबिक शहरी महिलाएं रोजगार से जुड़े कार्यों पर दिन में 375 मिनट व्यतीत करती हैं जबकि ग्रामीण महिलाएं 317 मिनट। दैनिक गतिविधियों में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी शहरी महिलाओं से ज्यादा होती है।