उन्होंने कहा कि जिस दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठकर उनकी बात सुन लेंगी, वह राजभवन के साथ मिलकर काम करना शुरू कर देंगी। अभी वह किसी की स्क्रिप्ट से चल रही हैं, जो उन्हें राजभवन से लड़ाकर उनका फायदा दिखाना चाहता है। लेकिन मुझे उम्मीद ही नहीं भरोसा है कि एक दिन वह खुद आएंगी और यह रिश्ते सुधरते हुए दिखाई देंगे।
राज्यपाल की भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो मेरी स्थिति है वह दूसरे राज्यपालों के सामने भी आती है। जब केंद्र में एक दल की सरकार होती है और राज्य में दूसरी पार्टी की तो तो राज्यपाल को शक की निगाह से देखा जाता है। माना जाता है कि राज्यपाल अपना एजेंडा लेकर आया है। केंद्र सरकार के एजेंट के तौर पर काम कर रहा है, लेकिन मेरा पहला काम है कि राज्य की सरकार के साथ मजबूती से खड़ा होना और जनता की भलाई के लिए काम करना। मेरा पहला प्रयास ही यही है कि मैं राज्य और केंद्र के बीच टकराव को कम करूं।
राज्यपाल ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार केंद्र से लगातार टकराव बढ़ा रही हैं, हो सकता है कि ममता बनर्जी की राजनीतिक विवशता हो। लेकिन मेरी भूमिका सकारात्मक है। मेरा टकराव राज्य सरकार से नहीं है, राज्य सरकार का टकराव मेरे से है। आप एक भी उदाहरण नहीं दे सकते, जिसमें कहा जा सके कि मेरा एक भी फैसला राज्य सरकार के खिलाफ हो। हां, एक बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि अगर संविधान गड़बड़ होता रहे और राज्यपाल चुप हो जाए, यह संभव नहीं होगा।
राज्यपाल ने साफ तौर पर स्वीकार किया कि कोविड को संभालने में सरकार की तैयारी कमजोर दिखाई दी है। उन्होंने साफ कहा कि कोविड को लेकर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री से भी बातचीत की, लेकिन उसका कोई हल नहीं निकला। राज्य सरकार आंकड़ों को स्पष्ट नहीं कर रही है। मैंने चिट्ठी लिखकर कुछ जानकारी चाही गई, लेकिन उसका जवाब चिट्ठी से मिला। लेकिन जो पूछा गया था, उसकी जानकारी नहीं आई। एक जून से लगातार कोविड के नंबर बढ़ रहे हैं। दबाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि सरकार को बताना चाहिए। जिससे लोग असल हकीकत जान सकें। मेरा काम सरकार को आगाह करना है, अगर मैं यह नहीं करूंगा तो फिर मैं न्याय नहीं करूंगा।
राज्यपाल ने कहा कि मैंने सरकार और सरकारी सिस्टम को पूरी तरह से साफ कर दिया है कि राज्य में चुनाव बिना हिंसा के होने चाहिए। यह मेरी जिम्मेदारी है कि राज्य में साफ और स्वच्छ तरीके से चुनाव हों। मेरी जिम्मेदारी है कि दूसरी पार्टियों के नेताओं को भी अपनी राजनीतिक गतिविधि का पूरा अधिकार मिले। कोविड के नाम पर सिर्फ विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामले न थोपे जाएं। प्रवासी मजूदरों पर भी मैंने दखल दिया था। मैंने सरकार से कहा कि आप इन्हें कोविड कैरियर नहीं कह सकते हैं, उनके लिए इंतजाम होने की बात नहीं कर सकते हैं। हमें उनके साथ सामांजस्य बनाना होगा। यहां कोई कमी नहीं है, बस कुछ तरीके खराब हो गए हैं। अगर उसके लिए राज्यपाल दखल नहीं देगा तो गलत हो जाएगा।
राज्यपाल ने अपनी ही सरकार की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि
मैं तो यही अपील कर सकता हूं कि कोविड और तूफान में राजनीतिक डीएनए को अलग करके देखिए। राज्य में सरकारी तंत्र को काम करने दीजिए। पीडीएस सिस्टम अगर टीएमसी के कार्यकर्ता संभालेंगे तो फिर सरकारी तंत्र क्या करेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पुलिस सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रही है। अफसर विपक्ष पर निशाना साधते हैं। यह ठीक नहीं है और राज्यपाल होने के नाते मेरी जिम्मेदारी है कि मैं सच को सच कहूं।