अब इस विवाद पर विश्व हिंदू परिषद ( VHP ) ने एक आधिकारिक बयान जारी किया है। वीएचपी की ओर से कहा गया है कि भूमि पूजन कार्यक्रम में हिंदू समाज ( Hindu Samaj ) के सभी मत, पंथ एवं परंपरा के पूज्य संत, आचार्य महामंडलेश्वर उपस्थित रहेंगे। विहिप ने कहा कि ऐसे सभी परम पूज्य संत जो बाल्मीकि समाज, रविदास समाज, कबीर समाज, सिख समाज, वनवासी, आदिवासी, गिरी वासी समाज तथा रामनामी परंपरा का निर्वाह करते हैं, उन्हें ससम्मान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों द्वारा आमंत्रित किया गया है।
पीएम मोदी आज Smart India Hackathon को करेंगे संबोधित, इस मंच को बताया ‘वाइब्रेंट फोरम’ वहीं, इस मुद्दे पर विहिप के महानगर मीडिया प्रभारी अश्वनी मिश्रा ( Ashwani Mishra, VHP metropolitan media in-charge ) ने कहा कि संतों की कोई जात-बिरादरी नहीं होती। पूज्य संत आचार्य परंपरा का निर्वाहन करते हैं। परम पूज्य संतों में न तो कोई दलित होता है और न ही कोई पिछड़ा और न ही समुदाय विशेष का व्यक्ति। हिंदू धर्म के संत सिर्फ धर्म के संवाहक पूज्य संत होते हैं। सभी का सम्मान एक जैसा होता है। इसमें विभेद का सवाल ही नहीं होता है।
महानगर मीडिया प्रभारी अश्विनी मिश्रा ने कहा कि 1989 में हिंदू समाज के पुरोधा स्वर्गीय अशोक सिंघल जी ( Ashok Songhal ji ) के नेतृत्व में विहिप कार्यकर्ता और बीजेपी के पूर्व सांसद एवं दलित समाज के कामेश्वर चौपाल ( Kameshwar chaupal ) ने ईट रखी थी जो स्थान वर्तमान में श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट ( Sri
Ram Janmabhoomi Area Trust ) के अधीन है। प्रभु श्री राम ( Shri Ram ) का जीवन समरसता का पथ प्रदर्शक है और प्रभु श्रीराम समरसता के प्रतीक हैं।