एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में रेलवे बोर्ड के शीर्ष अफसरों के बीच हाई लेवल की मीटिंग हुई है। जिसमें बिल्ड ऑपरेट ऑन ट्रांसफर मॉडल के तहत लिनेन को धोने के लिए मैकेनाइज्ड मेगा लॉन्ड्री को लेकर एक समिति बनाई जानी है। कोच में उपलब्ध कराए जाने वाले प्रत्येक लिनेन सेट को धोने में करीब 40-50 रुपए का खर्च आता है। वर्तमान में लगभग 18 लाख लिनन सेट फील्ड में हैं। सूत्रों के मुताबिक अभी फिलहाल कोई नया लिनेन आइटम नहीं खरीदा जा रहा है। इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि भविष्य में ये सुविधा खत्म की जा सकती है।
मालूम हो कि कोरोना काल में करीब 20 रेलवे डिवीजनों ने निजी वेंडरों को सस्ते दामों पर स्टेशनों पर डिस्पोजेबल कंबल, तकिए और चादरें बेचने का ठेका दिया है। पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर डिवीजन में पांच ऐसे वेंडर हैं। इससे रेलवे का राजस्व बढ़ाने में भी मदद मिल रही। भविष्य में एसी कोच में कंबल आदि की जरूरत न पड़े इसलिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार केबिन में एसी की सेटिंग ऐसे की जाएगी जिससे यात्रियों को ठंड नहीं लगेगी। वे बिना कंबल के भी आराम से सफर कर सकेंगे।