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कुतुब मीनार को पक्षियों के शौच से खतरा
दरअसल, कुतुब मीनार पर पक्षियों के शौच से खतरा बना हुआ है। एएसआई (दिल्ली सर्किल) के सुपरिटेंडेंट आर्किओलॉजिस्ट एनके पाठक ने बताया कि पंछियों के शौच से मीनार के अंदर संक्रमण और बदबू फैल रही थी। साथ ही इसमें लगे कीमती पत्थर को भी नुकसान हो रहा था। इस समस्या को देखते हुए भारतीय पुरातत्व विभाग ने 50 साल में पहली बार इसकी साफ-सफाई और मरम्मत की। इसकी चार बालकनी के टूटे हुए दरवाजों और खिड़कियों को जालियों और लोहे की ग्रिल से बदला है। बता दें कि मीनार की मरम्मत में कुल 8 लाख रुपए का खर्च आया है।
कई सालों से नहीं हुई मरम्मत
पुरातत्व विभाग ने बताया कि सैकड़ों सालों से मीनार की ना ही मरम्मत हुई और ना ही साफ-सफाई। समय के साथ दरवाजों और खिड़कियों में दरारें आ गई थीं। मीनार में पंछियों ने अंदर घर बना लिए थे। शुरू-शुरू में इसे इतनी बड़ी समस्या नहीं माना जा रहा था, लेकिन देखते ही देखते यह एक बड़ी समस्या बन कर सामने आइ। पुरातत्व विभाग ने कहा, ‘मीनार की मरम्मत का काम करीब तीन महीने से चल रहा है। नए फ्रेम कुतुब कॉम्प्लेक्स में ही बनाए गए हैं।’
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क्या कहते हैं इतिहासकार
वहीं, इतिहासकारों ने मीनार के बारे में बताया कि इसके हर ओर दरवाजा है, लेकिन असली दरवाजे कैसे दिखते थे इसकी जानकारी नहीं है। उनके मुताबिक दरवाजे सुविधानुसार खोले या बंद किए जा सकते हैं। मीनार के अंदर कई छोटी-बड़ी खिड़कियां हैं। बता दें कि 1950 के दशक में एएसआई ने मीनार में नए दरवाजे लगाए थे, जिसकी अवधि अब पूरी हो रही है। अब मीनार में जो दरबाजे लगवाए गए हैं वे फिक्स्ड हैं और ज्यादातर समय वे बंद ही रहेंगे।