पीएम ने आगे कहा, “हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में क्रांति की आवश्यकता है, क्योंकि वे 2024 तक भारत को 50 खरब (5 ट्रिलियन) डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।” खेती में सहायता करने वाली प्रौद्योगिकियों में क्रांति का आह्वान करते हुए, मोदी ने वैज्ञानिक समुदाय से पराली जलाने की समस्या का समाधान खोजने को कहा।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा, “इसी तरह, क्या हमारे वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए ईंट-भट्टों को फिर से डिजाइन कर सकते हैं। हमें ऊर्जा भंडारण के तरीके खोजने होंगे। प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल ग्रामीण विकास के लिए किया जाना चाहिए और किसानों को अपनी उपज को सीधे बाजार में बेचने में सक्षम बनाना चाहिए।”
इस बात का जिक्र करते हुए कि देश के विकास और तरक्की में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है, मोदी ने कहा कि आपूर्ति श्रंखला में अड़चनों के कारण किसानों को होने वाली हानि को प्रौद्योगिकी का उपयोग लागू करके निपटा जाना चाहिए।
उन्होंने जोर देते हुए कहा, “डिजिटल प्रौद्योगिकी, ई-कॉमर्स, मोबाइल बैंकिंग सेवाएं किसानों की प्रभावी ढंग से मदद कर रही हैं। प्रौद्योगिकी ने गरीबों के लिए दो करोड़ घर बनाना संभव बना दिया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रशासन और शासन में लालफीताशाही को कम करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। मोदी ने कहा, “जैसा कि वायु प्रदूषण और अपशिष्ट प्रबंधन देश के लिए एक चुनौती बन रहा है, हमें कचरे को धन में बदलने के तरीके खोजने चाहिए। वैज्ञानिकों को प्लास्टिक का एक विकल्प खोजना चाहिए और पानी को रीसाइकल करने के लिए एक उपकरण का आविष्कार करना चाहिए।”
यह बताते हुए कि ‘स्वच्छ भारत’ (स्वच्छ भारत मिशन) और ‘आयुष्मान भारत’ (राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना) विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग के कारण सफल हो रहे हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश को 2020 तक टीबी (क्षय रोग) को समाप्त करने में सक्षम होना चाहिए, क्योंकि भारत टीकों की आपूर्ति में एक वैश्विक रूप से अगुआ है।