जानकारी के मुताबिक बातचीत के दौरान इस बात पर सहमति बनी कि भारतीय सेना चीनी पीएलए ( PLA ) की वादाखिलाफी और वापसी की गतिविधियों पर पैनी नजर रखेगी। भारतीय सेना ( Indian army ) 10 दिन तक पीएलए के जवानों की वापसी का इंतजार करेगी।
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marnath Yatra : बाबा बर्फानी के भक्तों का होगा कोरोना टेस्ट, घर बैठे होंगे हिमलिंग का दर्शन सैन्य कमांडरों और सरकारी अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पीएलए जवानों की वापसी को लेकर चीन जो कह रहा है वो हालात जमीन पर नहीं हैं। हकीकत यह है कि पीएलए के पोजिशन वाले गलवान घाटी क्षेत्र ( Galwan Valley Area ) में नदी का जल स्तर बढ़ने की वजह से बाढ़ आ गई है।
हमारे पास उपग्रह और ड्रोन इमेजरी है जो यह दिखाता है कि गलवान में बर्फ पिघलने से पीएलए का अस्थायी टेंट 5 किलोमीटर गहराई में बह गया है। बर्फ पिघलने की वजह से गलवान घाटी में स्थिति खतरनाक है।
गलवान झड़प के बाद माइक पोम्पियो और एस जयशंकर के बीच हुई गुप्त बात, इस वजह से नहीं हुई पब्लिक सेना मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार दूसरी तरफ पीएलए वापसी के मुद्दे पर पर भारत को तचीत में उलझाए रखना चाहता है। गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स और पंगोंग त्सो में पीएलए जवानों की उपस्थिति के मामले में कोई बदलाव नजर नहीं आया है। दूसरी तरफ भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में LAC के आसपास हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार है। भारतीय सेना के साथ नौसेना गश्ती नौकाओं के साथ पैंगोंग त्सो की रक्षा के लिए तैनात है।
सीमा पर आगामी 10 दिन अहम सैन्य अधिकारियों ने बताया कि चीन के साथ तीन वरिष्ठ सैन्य कमांडर स्तर की बैठकें और दो वरिष्ठ राजनयिक स्तर की बातचीत के बाद आगामी 10 दिन हमारे लिए अहम है। यह उम्मीद की जाती है कि इस अवधि के दौरान पीएलए जवानों की वापसी शुरू कर देगा और पूर्व की स्थिति बहाल करेगा।
फिलहाल भारत अपनी ओर से किसी भी सैन्य अभियान की शुरुआत नहीं करने का फैसला लिया है। लेकिन वास्तविक नियंत्रण ( LAC ) के 3488 किलोमीटर लाइन के साथ चीन की ओर से किसी भी कदम का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।