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प्लाजमा थेरेपी अतार्किक और गैर वैज्ञानिक
मौजूदा गाइडलाइंस शुरुआती या सेकेंड स्टेज वाली बीमारी के लक्षणों की शुरुआत के सात दिनों के भीतर प्लाज्मा थेरेपी के “ऑफ लेबल” उपयोग की अनुमति देता है। आपको बता दें कि प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना संक्रमण के इलाज संबंधी गाइडलाइंस से हटाने पर विचार विमर्श ऐसे समय हुआ है, जब कुछ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने चीफ साइंटिस्ट एडवाइजर विजयराघवन को पत्र लिखकर देश में कोरोना के इलाज के लिए प्लाजमा थेरेपी के अतार्किक और गैर वैज्ञानिक इस्तेमाल को लेकर चेताया है। यह पत्र एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया और आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव को भेजा गया है।
प्लाज्मा थेरेपी पर मौजूदा गाइडलाइन प्रमाण आधारित नहीं
पत्र में कहा गया है कि प्लाज्मा थेरेपी पर मौजूदा गाइडलाइन प्रमाण आधारित नहीं है। इस पत्र में कुछ वीक इम्यून सिस्टम वालों को प्लाज्मा थेरेपी देने और कोरोना के नए वैरिएंट बनने के बीच संबंध की बात भी कही गई है। यह पत्र वैक्सीन विज्ञानी गगनदीप कांग, सर्जन प्रमेश सीएस आदि की ओर से लिखा गया है। पत्र में कहा गया है कि हाल के कुछ प्रमाणों से यह साफ पता चलता है कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना मरीजों के इलाज में कारगार साबित नहीं हो पा रही है। बावजूद इसके देशभर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।