– प्रशासन द्वारा घर-घर सर्वे कर संदेही मरीजों को तलाश गया व उनका उपचार शुरू किया गया।
– आवश्यकता के मुताबिक कोरोना टेस्ट लिया गया, सर्वे खत्म होने के बाद फिर से सर्वे किया जा रहा है।
– उज्जैन शहर में 138 के करीब कंटेनमेंट एरिया बनाए गए थे। इनमें सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी रखी गई।
– रेड जोन के चलते शहर में लॉकडाउन का पालन सख्ती से किया गया।
– फालतू घुमने वाले को गिरफ्तार कर प्रकरण दर्ज किए गए। होम डिलिवरी ही रखी गई। इससे संक्रमण दर कम हुई।
उज्जैन जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि शहर में घर-घर सर्वे किए जाने से कोरोना संक्रमण रोकने में काफी मददगार साबित हुआ है। समय रहते ही मरीज की पहचान सही होने व उपचार समय पर मिलने से मौत का आंकड़ा भी कम हुआ है। हमारी कोशिश है कि कोरोना का फैलाव न हो और जो मरीज है उनका बेहतर उपचार हो जाए।
आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक व नोडल अधिकारी डॉक्टर सुधाकर वैद्य ने बताया कि काॅलेज में करीब चार करोड़ रुपए कीमत की अत्याधुनिक मशीन स्थापित की गई है, जिससे कोरोना टेस्ट तो होंगे ही, यह भी पता चलेगा कि कोरोना से लड़ने के लिए मरीज के शरीर में प्रतिरोध क्षमता कितनी हैं। इस मशीन का उपयोग भी शुरू हो गया है। वैद्य ने बताया, कॉलेज में खून की जांच से कोरोना वायरस के आईजीजी/आईजीएम/आइजीए एंटीबॉडी की जांच क्लिया (सीएलआइए) तकनीक से होने लगी हैं।
संभवत: देश में पहली बार इस तकनीक का उपयोग उज्जैन में हो रहा है। इसमें विटरोस 5600 मशीन के जरिए रक्त के नमूने की जांच कर कोरोना वायरस का पता लगाया जाता है। साथ ही कितनी मात्रा में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हुई, इसकी जानकारी भी मिल सकेगी। डॉ. वैद्य के अनुसार कॉलेज प्रमुख डॉ. वीके महादिक द्वारा अमेरिका से उक्त मशीन मंगवाई गई है।
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