हालांकि, अपने प्रति लोगों के इस प्यार को रतन टाटा ने सलाम किया है और इस कैंपने को बंद करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि वह एक भारतीय होने पर खुद को भाग्यशाली मानते हैं। इन सबके बीच ये जानना बहुत ही दिलचस्प है कि आजाद भारत में कई बड़े-बड़े उद्योगपति हुए जिन्होंने भारत की दशा और दिशा बदलने में महत्वूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन उन्हें भारत रत्न आज तक नहीं मिल सका है।
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अब तक सिर्फ एक ही उद्योगपति यानी बिजनेसमैन हुए हैं जिन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया है। बता दें कि जिस शख्सियत को भारत रत्न से सम्मानित किया गया है वे उद्योगपति रतन टाटा के परिवार से ही संबंध रखते हैं।
भारत में सिविल एविएशन के जनक हैं JRD Tata
आपको बता दें कि आजाद भारत में उद्योगपति जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा ( Jahangir Ratanji Dadabhai Tata ) यानी जेआरडी टाटा भारत रत्न से सम्मानित इकलौते बिजनेसमैन हैं। JRD टाटा को 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
अपने जीवनकाल में उन्होंने भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में काफी अहम योगदान दिया है। जेआरडी टाटा को भारत में सिविल एविएशन इंडस्ट्री का जनक कहा जाता है। मालूम हो कि आजादी से पहले 1929 में वे भारत के ऐसे पहले व्यक्ति बने थे, जिन्हें हवाई जहाज चलाने का लाइसेंस मिला था।
तीन साल बाद 1932 में उन्होंने खुद टाटा एयरलाइन्स की स्थापना कर अपने नेक इरादे को स्पष्ट कर दिया था। आजादी से ठीक पहले 1946 में टाटा एयरलाइन्स का नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया था। अब यह भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी है, जिसे भारत सरकार प्राइवेट कंपनी को बेचना चाहती है और सबसे दिलचस्प बात ये है कि टाटा ग्रुप इसे खरीदने की होड़ में शामिल है।
500 करोड़ डॉलर तक पहुंचाया कंपनी का ग्रोथ
आपको बता दें कि जेआरडी टाटा बहुत ही कम उम्र में टाटा सन्स के चेयरमैन बन गए थे। उन्होंने 1938 में महज 34 साल की आयु में इस पद को संभाला था और अपने नेतृत्व व कौशल क्षमता की बदौलत 53 साल यानी 1991 तक कंपनी के चेयरमैन बने रहे।
अपने इस लंबे कार्यकाल में उन्होंने कंपनी की ग्रोथ को 50 गुना तक बढ़ाया। जेआरडी के कार्यकाल में टाटा ग्रुप का कुल बाजार मूल्य 10 करोड़ डॉलर से बढ़कर 500 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया था। वर्तमान समय की बात करें तो टाटा ग्रुप का कुल बाजार मूल्य करीब 200 अरब डॉलर है।
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जेआरडी टाटा ने टाटा समूह के लिए 14 नई कंपनियां शुरू की, जिसमें टाटा मोटर्स, टाटा सॉल्ट, टाटा ग्लोबल बेवरेजिस और टाइटन जैसी सफल बड़ी कंपनियां शामिल है।
टाटा ने ही शुरू की थी 8 घंटे की ड्यूटी टाइम
मालूम हो कि देश में योग्य उद्योगपतियों का समूह तैयार करने के उद्देश्य से जेआरडी टाटा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तर्ज पर 1956 में टाटा प्रशासनिक सेवा (TAS) की शुरुआत की थी। इतना ही नहीं, टाटा ने ही सबसे पहले 8 घंटे की ड्यूटी समय तय की। इसके अलावा उन्होंने अपने कर्मचारियों को फ्री मेडिकल सुविधा और भविष्य निधि योजना देने की भी शुरुआत की थी। किसी दुर्घटना में कर्मचारी के मारे जाने पर भी मुआवजा देने की पहल भी टाटा ने ही शुरू की थी।