अपने कंधों पर लेकर जाते सिलेंडर
इस मुश्किल वक्त में जहां घरवालें साथ छोड़ देते हुए है। वहीं राजस्थान के अलवर जिले के रहने वाले जग्गा पहलवान अपनी जान की परवाह किए बिना दिन रात जरूरतमंदों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। जब कोरोना की दूसरी लहर का पिक टाइम चल रहा था उस समय लोगों को हॉस्पिटल में बेड ऑक्सीजन सही इलाज के लिए दवाइयां नहीं मिल पा रही थी। ऐसी स्थिति में जग्गा पहलवान ने दिन-रात मरीजों की सेवा की। अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर पर्याप्त नहीं होने के कारण कई बार वे मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया। कई बार अपने अपने कंधों पर सिलेंडर को उठाकर हॉस्पिटल तक पहुंचाए। कई बार रात को भी सिलेंडर की डिमांड होने पर तो वह तुरंत ऑक्सीजन सिलेंडर का व्यवस्था करते।
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गर्म पानी से लेकर, खाने-पीने का इंतजाम
एक इंटरव्यू के दौरान पहलवान ने बताया कि मरीजों को गरारे कराने के लिए वह गर्म पानी साथ रखते थे। बीमार और बुजुर्ग लोगों के लिए खाने का भी इंतजाम करते है। यह सुबह के नाश्ते से लेकर रात को खाने तक का इंतजाम करते है। कई मरीजों को इलाज के लिए कई दिनों तक अस्पताल में अकेले रहना पड़ता था। ऐसी स्थिति पहलवान रोजाना सुबह-शाम उनके पास जाते और खाने-पीने के इंतजाम करते। कई मरीजों को वीडियो कॉलिंग के जरिए उनके परिजनों से बात भी करवाते।
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अपने हाथों से खिलाया खाना
आपको बता दें कि पहलवान की अस्पताल में मरीजों की सेवा करने के लिए ड्यूटी नहीं लगाई गई है। वह अपनी इच्छा से जरूरतमंदों की सेवा कर रहे है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोरोना की पहली लहर के दौरान ही वह जरूरतमंदों की मदद करते आए हैं। पहलवान ने बताया कि मरीजों की सेवा करने के दौरान मैं खुद की सेफ्टी का पूरा ख्याल रखते हैं। वे रोजाना मरीजों को खाने की सामग्री पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं वह मरीजों को अपने हाथ से बेड पर बिठाने से उठाने तक का काम करते हैं। कई बार तो वह अपने हाथों से भी उन को खाना खिलाते हैं। आईसीयू में भी पहलवान काम कर चुके हैं।
सेवा करने मिली हैं खुशी
पहलवान ने बताया कि यह मुश्किल समय है गुजर जाएगा, लेकिन लोगों की सेवा करने का मौका मिला है इसका लाभ लेना चाहता हूं। उनका कहना है कि जरूरतमंदों की मदद करने से उनको खुशी मिलती है। वह अपने नंबर सभी जगह दे रखे हैं, जिसको भी जरूरत हो तो फोन कर सकते हैं। फोन करने के बाद तुरंत उनको संबंधित आवश्यक चीजों की सप्लाई करते।