हार्डकोर अपराधियों पर राजस्थान पुलिस हमेशा हावी रही है। आज कोई भी कुख्यात अपराधी ऐसा नहीं है, जो सलाखों के पीछे न हो। इस काम में जनता की मदद और अपेक्षित है। पुलिस को समय पर सूचना मिले, यह आवश्यक है।
हां, पिछले दिनों में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं। पुलिस त्वरित कार्रवाई भी कर रही है। थाने से लेकर मुख्यालय तक बेहतर मॉनिटरिंग होती है। तय समय में मामले को अदालत तक पहुंचाया जा रहा है। इसीलिए तो झुंझुनूं वाले मामले में आरोपी को कम समय में सजा मिली।
महिला अत्याचार के एक साल में करीब पांच-छह हजार मामले दर्ज हो रहे हैं। वर्षवार देखें तो पुराना कोई भी मामला लम्बित नहीं है। न्याय दिलाने के लिए ऐसे मामलों के निस्तारण पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
पुलिस और जनता के बीच दूरी कभी नहीं हो सकती। कोरोना काल में पुलिस ही जन सहयोग में सबसे आगे रही है। पुलिस पर हुए हमलों को देखें तो स्थानीय और उस समय के घटनाक्रम भी अहम नजर आते हैं। हां, कोरोना के कारण जनता और पुलिस के बीच नियमित संवाद में थोड़ी कमी आई है। इसे दुरुस्त कर रहे हैं।
समन्वय के प्रयास अनवरत रहते हैं। कम्यूनिटी पुलिसिंग, जन सुनवाई तथा पैदल गश्त जैसे कई कदम उठाते रहे हैं। कोरोना के कारण परिस्थिति सामान्य नहीं रही है। थानों की पुलिस को अधिक से अधिक पैदल गश्त कर लोगों से सम्पर्क बढ़ाने के लिए कहा है।