इस बात को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ( Shivraj Singh Chauhan ) ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। उन्होंने अपने समकक्ष उद्धव ठाकरे से कहा कि कोरोना संकट के काल में ऑक्सीजन की आपूर्ति सीमित करने का निर्णय सही नहीं है। इसके बदले एमपी को ऑक्सीजन की आपूर्ति पहले की तरह बहाल करने में सहयोग करें।
World Suicide Prevention Day : जानें क्यों बढ़ रहे हैं आत्महत्या के मामले? दरअसल, ऑक्सीजन के लिए मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र पर निर्भर है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इसकी आपूर्ति अचानक रोक दी है। उद्धव सरकार के इस कदम से एमपी में अचानक ऑक्सीजन की किल्लत बढ़ गई है।
हालांकि, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने ऑक्सीजन की कमी से उत्पन्न स्थिति को लेकर एक समीक्षा बैठक की है। उन्होंने कहा यह विषय मुझे विचलित कर रहा है। उन्होंने बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे संकट के समय ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं रोकनी चाहिए। ठाकरे कोशिश करेंगे कि ऑक्सीजन की आपूर्ति न रुके। दूसरी तरफ उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी वैकल्पिक व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है।
Tejashwi Yadav के निशाने पर नीतीश, कहा – बिहार में लोग आपको लाइक से ज्यादा डिसलाइक करते हैं बता दें कि मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की उपलब्धता केवल 50 टन थी, जिसे बढ़ाकर 120 टन तक कर सीमित कर दिया गया है। 30 सितंबर तक ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाकर 150 टन करने का निर्णय लिया है। वर्तमान में महाराष्ट्र से 20 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति होती थी।
ऑक्सीजन संकट की वजह मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन संकट महाराष्ट्र सरकार के एक आदेश से उत्पन्न हुई है। उद्धव सरकार ने 7 सितंबर को एक आदेश जारी कर राज्य में ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों को निर्देश दिया कि 80 प्रतिशत ऑक्सीजन केवल चिकित्सा उपचार के लिए उपयोग किया जाएगा। इसकी आपूर्ति क्षेत्र के अस्पतालों में की जाएगी। इस आदेश के बाद से इंदौर और भोपाल सहित एमपी के 15 जिलों में ऑक्सीजन की समस्या उठ खड़ी हुई है।