केंद्रीय मंत्री गडकरी के ऑफिस की ओर से मीडिया रिपोर्ट में लगाए गए इन आरोपों को दुर्भावनापूर्ण, निराधार और मनगढ़ंत बताया है। गडकरी के ऑफिस की ओर से इस संबंध में विस्तृत बयान भी जारी किया गया है। इसके मुताबिक, मीडिया रिपोर्ट्स में किए गए ऐसे दावे कि स्वीडन की बस निर्माता कंपनी स्कैनिया ने नवंबर 2016 में जिस कंपनी को लग्जरी बस दी थी, उसका उनके बेटों से करीबी संबंध था। साथ ही, बस के लिए भुगतान नहीं किया गया और उसे नितिन गडकरी की बेटी की शादी में इस्तेमाल किया गया। यह सिर्फ एक कल्पना है। बयान में यह भी कहा गया है कि स्कैनिया बस का मामला स्वीडन की इस कंपनी का अंदरूनी मामला है, ऐसे में मीडिया को स्कैनिया के भारत में स्थित ऑफिस से आधिकारिक बयान का इंतजार कर लेना चाहिए।
स्वीडन की कंपनी स्कैनिया बस और ट्रक बनाती है। कंपनी की ओर से भी इस संबंध में बयान जारी किया गया है। इसके मुताबिक, कंपनी के भारतीय परिचालन के विषय में की गई एक आंतरिक जांच में वरिष्ठ प्रबंधन सहित कर्मचारियों के दुराचार के साक्ष्य मिले हैं। इस मामले में शामिल सभी सदस्य कंपनी छोडक़र जा चुके हैं। स्वीडन के मीडिया चैनल एसवीटी समेत तीन मीडिया संस्थानों ने यह खबर दी है। इसके मुताबिक, स्कैनिया ने वर्ष 2013 से वर्ष 2016 के बीच भारत के सात राज्यों में बस अनुबंध पाने के लिए रिश्वत दी थी। एसवीटी की खबर के अनुसार, स्कैनिया ने एक खास लग्जरी बस एक कंपनी को दी थी। इसका संबंध भारत के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से था।
दरअसल, नागपुर ग्रीन बस परियोजना के तहत नगर पालिका क्षेत्रों में इथेनॉल चालित बसों को चलाने की योजना थी। यह योजना सभी सिटी बसों को जैव ईंधन पर चलाने की थी। वर्ष 2016 में परियोजना शुरू करते समय केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा था कि यह योजना केवल गुड़ से ही नहीं बल्कि, चावल, गेहूं के भूंसे और बांस से इथेनॉल बनाने की भी है। स्कैनिया को परियोजना के तहत 55 इथेनॉल से चलने वाली बसों को चलाने के लिए तैयार किया गया था। हालांकि, यह परियोजना वर्ष 2018 में तब खटाई में पड़ गई थी, जब स्कैनिया ने खुद परियोजना को रोक दिया था। साथ ही, अपनी 25 ग्रीन बसों को नागपुर नगर निगम से बकाया भुगतान नहीं करने समेत कुछ और समस्याओं के कारण बंद कर दिया था।