जिंदगी में पांच बार फूट-फूटकर रोए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, जानिए कौन से थे वो मौके?
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को बधाई दी
फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि अभी हमारे देश में चिकित्सा की बुनियादी सेवाएं उस स्तर की नहीं है, जिनसे ग्रामीण इलाकों में लोगों की कोरोना से रक्षा की जा सके। इस दौरान उन्होंने ने कोरोना वैक्सीन के लिए उत्पादन के लिए पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को बधाई दी। इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान होने वाले नुकसान की भरपाई की दिशा में काम किए जाने की बात पर भी जोर दिया। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि देश में लंबे समय तक रहे लॉकडाउन की वजह से पर्यटन क्षेत्र, उद्योग और दुकानदारों को भारी परेशानी और घाटा उठाना पड़ा है। जम्मू-कश्मीर समेत समूचे देश में गरीबी की मार से लोग जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों से 50 हजार नौकरियों देने का वायदा किया गया था, लेकिन एक भी नौकरी नहीं मिल पाई।
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प्रतिष्ठा का सवाल न बनाया जाए
फारुख अब्दुल्ला ने कृषि कानूनों पर बोलते हुए कहा कि ये कोई धार्मिक शास्त्र नहीं है, जिनको बदला न जा सका। अगर देश के किसान कृषि कानूनों को वापस कराना चाहते हैं, तो आप क्यों उनसे बात नहीं कर सकते। इसको प्रतिष्ठा का सवाल न बनाया जाए। यह हमारा राष्ट्र है और सब इससे जुड़े हैं। इस देश में सभी को सम्मान के साथ रहने का अधिकार है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे बहुत खराब लगता है कि जब जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अन्य नेताओं पर उंगली उठाई जाती है। जब कल आप पावर में नहीं रहोगे तब हम इस प्रधानमंत्री के बारे में बात करेंगे। यह एक गलत परंपरा है। जो जा चुका है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए।